बिलासपुर। हैबियस कर्पोस के लिए किसी को अवैध रूप से हिरासत में रखा जाना सपष्ट होना चाहिए। लापता व्यक्ति के सम्बंध में बंदिप्रत्यक्षिकरण का आदेश नहीं दिया जा सकता है। हालांकि याची उचित फोरम में जाने के लिए स्वतंत्र है। इस निर्देश के साथ कोर्ट ने बंदिप्रत्यक्षिकरण याचिका को खारिज किया है।
राजनांदगांव के सोमनी थाने के अंतर्गत ग्राम मुदिपारा निवासी खिलेन्द्र चौहान ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की । इसमें बताया गया कि उनकी पत्नी गत 6 अप्रैल 2023 से लापता है। उसकी खोजबीन के लिए पुलिस से कई बार शिकायत की गई लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। इस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में पति ने पुलिस के साथ अपनी पत्नी को भी प्रतिवादी बनाया और अधिकारियों को उसकी लापता पत्नी की तलाश करने की मांग की। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद राजनांदगांव पुलिस को नोटिस जारी किया था। पुलिस ने अपने जवाब में कहा कि, याचिकाकर्ता की शिकायत के बाद उनकी पत्नी की तलाश की जा रही है। मोबाइल लोकेशन के आधार पर राजस्थान के उदयपुर में पुलिस की टीम भेजी गई थी लेकिन सफलता नहीं मिली पुलिस की ओर से पूरी कोशिश की जा रही है। शासन की ओर से मामले में कहा गया कि इस पूरे मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण का मामला नहीं बनता क्योंकि याचिकाकर्ता की पत्नी को किसी ने बंदी नहीं बनाया है और ऐसा लगता है कि वह अपनी मर्जी से कहीं गईं है। याची व शासन का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को परिभाषित करते हुए कहा कि याचिका में लापता व्यक्ति का अवैध हिरासत में रखा जाना स्पष्ट नहीं है। कोर्ट ने याची को उचित फोरम में जाने की छूट प्रदान करते हुए याचिका को खारिज किया है।
