कोई भी विधि स्नातक सिविल जज की परीक्षा में भाग ले सकता है-हाईकोर्ट
००० 24 जनवरी को समाप्त हो रहे आवेदन की तिथि बढ़ाने का निर्देश
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने का महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सिविल जज की परीक्षा में वह उम्मीदवार भी भाग ले सकते हैं, जो सरकारी कर्मचारी हैं और जिनका बार काउंसिल में नामांकन नहीं है। कोर्ट ने साफ शब्दों में आदेशित किया है कि एक उम्मीदवार जो विधि स्नातक है, चाहे वह अधिवक्ता के रूप में नामांकित हो या नहीं, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उसे भी उसी जांच से गुजरना होगा जिससे दूसरे उम्मीदवार को गुजरना होगा, जो अधिवक्ता के रूप में नामांकित है। वहीं हाई कोर्ट ने इसके साथ ही सीजीपीएससी को सिविल जज की परीक्षा के आवेदन की अंतिम तिथि को 24 जनवरी 2025 से 1 महीने तक के लिए आगे बढ़ने का आदेश दिया है।
मध्यप्रदेश के जबलपुर की रहने वाली विनीता यादव विधि स्नातक है, जिसने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर से विधि में डिग्री प्राप्त की है। वह छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्बारा विज्ञापित सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा, 2024 में शामिल होने की इच्छुक थी। लेकिन वर्तमान में वह सरकारी कर्मचारी के रूप में कार्यरत है तथा अधिवक्ता अधिनियम, 1961 (संक्षेप में 1961 का अधिनियम) के तहत अधिवक्ता के रूप में नामांकित नहीं है तथा पूर्णकालिक सरकारी कर्मचारी होने के कारण उसे 1961 के अधिनियम के तहत बनाए गए बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स के नियम 49 के तहत अधिवक्ता के रूप में नामांकन करने से वैधानिक रूप से रोक दिया गया है, जो किसी भी पूर्णकालिक व्यवसाय में लगे व्यक्तियों के नामांकन पर रोक लगाता है।
याचिकाकर्ता ने अपनी अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डबल बैंच में सुनवाई हुई। 22 जनवरी को कोर्ट ने अपना आदेश सुनाया। बैंच ने सुनवाई के दौरान कहा प्रथम दृष्टया, हमारा विचार है कि फिलहाल याचिकाकर्ता को अपना ऑनलाइन फॉर्म भरने की अनुमति दी जानी चाहिए और यदि वह अन्य सभी मानदंडों को पूरा करती है, तो उसे भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है। चूंकि ऑनलाइन फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 24.01.2025 है, इसलिए छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग को निर्देश देते हुए ऑनलाइन फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि को 22 जनवरी से एक महीने के लिए बढ़ा देने आदेश दिया। इसके अलावा, विशुद्ध रूप से अंतरिम उपाय के रूप में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग उम्मीदवारों को अपने ऑनलाइन फॉर्म भरने की अनुमति देगा, भले ही वे 1961 के अधिनियम के तहत अधिवक्ता के रूप में नामांकित न हों।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह आदेश प्रतिवादी के रूप में लागू होगा, न कि व्यक्तिगत रूप से और यहां तक कि वे अभ्यर्थी जिन्होंने उपरोक्त राहत के लिए इस उच्च न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटाया है, उन्हें भी वर्तमान आदेश का लाभ उठाने की अनुमति दी जाएगी।
