मनी लॉड्रिंग के आरोपी मार्कफेड के एमडी सोनी की जमानत आवेदन खारिज
बिलासपुर। हाईकोर्ट ने राइस मिलर्स से लेवी वसूली एवं मनी लॉड्रिंग के आरोपी नागरिक आपूर्ति निगम के विश्ोष सचिव, मार्कफेड के एमडी मनोज कुमार सोनी की जमानत आवेदन को खारिज किया है। कोर्ट ने मामले उसके संलि’ होने के पर्या’ साक्ष्य होने पर जमानत आवेदन को खारिज किया है।
आवेदक मनोज कुमार सोनी 1995 बैच के आईटीएस अधिकारी हैं। 26 जून 2014 से छत्तीसगढ़ सचिवालय में विश्ोष सचिव के पद में पदस्थ थ्ो। उनके पास नागरिक आपूर्ति निगम का विश्ोष सचिव का अतिरिक्त प्रभार था। इसके बाद मार्कफेड के एमडी के पद में पदस्थ किया गया। अक्टूबर 2022 एवं जून 2023 एमडी नागरिक आपूर्ति निगम का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। इस पदस्थापना के दौरान राइस मिलर्स से लेवी वसूली एवं आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का इंनपुट मिलने पर आईटी विभाग ने उसके निवास में जुलाई 2023 को छापामार कार्रवाई की। इसमें उसके निवास से एक लाख पांच हजार नगद एवं तीन सोना के सिक्के सहित एक लाख इक्यास हजार से अधिक के गोल्ड जब्त किया गया। इस मामले में आईटी विभाग के अलावा ईओडब्ल्यू एवं ईडी ने भी एफआईआर दर्ज कर 3० अप्रैल 2024 को गिरफ्तार कर जेल दाखिल किया है। जेल में बंद मनोज कुमार सोनी ने मेडिकल आधार पर नियमित जमानत देने हाईकोर्ट में आवेदन दिया था। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि इसमें कोई संलिप्तता नहीं है प्रश्नाधीन कार्यालय में आवेदक। कोर्ट ने पूरी जांच करने के बाद दस्तावेज़ों में पर्याप्त सामग्री मिली है। जो आवेदक एवं अन्य आरोपी व्यक्ति के बीच सांठगांठ का मजबूत संकेत देती है। ऐसे दस्तावेज़ और सबूत थे जो प्रतिबिबित करते थे आवेदक की संलिप्तता है और वह मुख्य साजिशकर्ता है। उक्त घोटाले से लाभार्थी है। जांच से पता चला है कि आवेदक राइस मिलर्स से पैसे की उगाही में शामिल था जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर अपराध की आय अर्जित करने के लिए किया गया था। आवेदक के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे का प्रश्न है ऐसे में कोई गंभीर राहत नहीं है। हिरासत में स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए अधिकारी पर्याप्त उपाय अपना रहे हैं। न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। इस प्रकार, मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में अभियुक्त का अपराध इकट्ठा किया गया है। आवेदक के खिलाफ आरोप बेहद गंभीर और इसकी प्रकृति और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए अपराध और रिकार्ड के अवलोकन से और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए की धारा 45(1) के तहत विशेष और कड़े प्रावधान पर विचार करते हुए जमानत का लाभ दिया जाना उचित नहीं है। इसके साथ कोर्ट ने जमानत आवेदन खारिज किया है।