छत्तीसगढ़ में पहली बार उन्नत बीज देने के आड़ में किसानों से ठगी करने वालों के खिलाफ जुर्म दर्ज हुआ
00 हाई कोर्ट ने ठगों की याचिका खारिज की
बिलासपुर । हाईकोर्ट ने बीज कंपनी द्वारा घटिया हाइब्रिड धान बीज देकर किसानों से धोखाधड़ी करने
पर हुई एफ आई आर को रद्द करने पेश अपराधिक याचिका को खारिज कर दिया है । चीफ जस्टिस की डीबी ने कहा कि, गरीब किसानों का बड़ा नुकसान करने वाली कंपनी अपनी जवाबदारी से बच नही सकती है ।
याचिकाकर्ता विगोर बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के कर्मचारी हैं। कम्पनी ने वितरकों के अपने बड़े नेटवर्क के माध्यम से भारत में अपने ग्राहकों को कृषि और बीज उत्पाद प्रदान करती है* छत्तीसगढ़ राज्य में, कंपनी ने अपने उत्पादों को बेचने के लिए कई वितरकों को शामिल किया था* इनमें से एक वितरक कोंडागांव में शंकर कृषि केंद्र, रंधना था, जहां से शिकायतकर्ता (नंबर 2) गोकुल प्रधान ने जिला कोंडागांव के कुछ किसानों के साथ मिलकर कंपनी द्वारा बेचे गए एक उत्पाद “चंचल हाइब्रिड धान बीज” को खरीदा था और अपने खेतों में बोया था, लेकिन जब पाया गया कि ये बीज गर्दन से टूट रहे हैं, तो शिकायतकर्ता गोकुल प्रधान द्वारा याचिकाकर्ताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 34 के तहत पुलिस स्टेशन, फरसगांव, जिला – कोंडागांव (छ.ग.) में एफआईआर दर्ज कराई गई *,यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने कंपनी द्वारा बेचे गए “चंचल हाइब्रिड धान बीज” को उसके वितरक – शंकर कृषि केंद्र, रंधना से इस आश्वासन पर खरीदा था कि यह धान बीज” बाजार में सबसे अच्छा है और अनुकूल परिणाम देगा;* इसके बाद भी इसे लगाने से सबका बड़ा आर्थिक नुक्सान हो गया है * इस एफ आई आर को रद्द कराने कंपनी ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल मिस्लेनियस पिटीशन पेश की * चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस ए के प्रसाद की डीबी में सुनवाई हुई * याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि विवाद एक सिविल प्रकृति का है तथा प्रतिवादी क्रमांक 2 ने याचिकाकर्ताओं को परेशान करने तथा उनसे धन ऐंठने के लिए बिना किसी आधार के याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है*तथ्यों को पढ़ने से यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ताओं पर अपराध नहीं बनता है* दूसरी ओर,राज्य के वकील नने कहा कि कि एक बार एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद, इसकी जांच की जानी चाहिए और इसे तार्किक निष्कर्ष तक ले जाना चाहिए*
हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं
प्रस्तुत किए गए तर्कों की जांच करने और आरोपित एफ.आई.आर. का अवलोकन करने के बाद, हम इस राय पर पहुंचे हैं कि आरोपित एफ.आई.आर. याचिकाकर्ताओं के खिलाफ संज्ञेय अपराध का पता चलता है, इसलिए, इस न्यायालय द्वारा बीएनएसएस की धारा 528 के तहत एफ.आई.आर. को रद्द करने की अपनी अंतर्निहित शक्ति में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है*इसके साथ ही यह पिटीशन खारिज कर दी गई ।