हेट स्पीच के आरोपी अमित बघेल की तुरंत गिरफ्तारी की मांग को लेकर पेश याचिका खारिज
बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस विभु दत्ता गुरू की डीबी ने छत्तीसगढ़ जोहार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघ्ोल की हेट स्पीच मामले में तुरंत गिरफ्तारी व वरिष्ठ अधिकारी के निगरानी में जांच की मांग को लेकर पेश याचिका में हस्तक्ष्ोप से इंकार करते हुए खारिज किया है।
छत्तीसगढ़ जोहार पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अमित बघ्ोल के खिलाफ विभिन्न समाज के लोगों ने अलग अलग एफआईआर दर्ज कराया गया है। इस मामले को लेकर रायपुर निवासी अमित अग्रवाल ने तुरंत गिरफ्तारी, वरिष्ठ अधिकारी के निगरानी में जांच एवं स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका पेश की थी। याचिका में चीफ जस्टिस की डीबी में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता एवं शासन के पक्ष को सुनने के बाद किसी प्रकार के हस्तक्ष्ोप से इंकार करते हुए याचिका को खारिज किया है।
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कोर्ट ने आदेश में कहा न्यायिक दखल देना जरूरी नहीं
कोर्ट ने आदेश में कहा कि ऐसी असाधारण परिस्थितियाँ हैं जिनके लिए चल रही जाँच में न्यायिक दखल देना ज़रूरी नहीं है। इसलिए, पिटीशन गलत है, समय से पहले है। रिकॉर्ड पर मौजूद मटीरियल पर विचार करने पर, यह साफ़ है कि अमित बघ्ोल के खिलाफ पहले ही कई एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, और उनमें जाँच चल रही है। याचिकाकर्ता ने यह दिखाने के लिए कोई ठोस मटीरियल पेश नहीं किया है कि जाँच एजेंसी ने या तो जाँच बंद कर दी है या एफआईआर पर कार्रवाई करने से मना कर दिया है। जांच की रफ़्तार या तरीके से सिर्फ़ नाखुशी, कानून के हिसाब से, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के सेक्शन 528 या संविधान के आर्टिकल 226 के तहत इस कोर्ट के खास अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करने का आधार नहीं दे सकती। पिटीशनर ने जो राहतें मांगी हैं, खासकर जो तुरंत गिरफ्तारी, जांच के तरीके, किसी खास रैंक के सीनियर ऑफिसर से सुपरविज़न और समय-समय पर स्टेटस रिपोर्ट के लिए निर्देश मांग रही हैं, वे क्रिमिनल जांच के ज्यूडिशियल सुपरविज़न और माइक्रोमैनेजमेंट की प्रार्थना के बराबर हैं। अगर ऐसी राहतें दी जाती हैं, तो वे जांच एजेंसी के कानूनी अधिकार क्षेत्र में गलत तरीके से दखल देंगी और इस अच्छी तरह से तय सिद्धांत का उल्लंघन करेंगी कि कोर्ट पुलिस को किसी खास व्यक्ति को गिरफ्तार करने का निर्देश नहीं दे सकता, न ही वह जांच का रास्ता या नतीजा पहले से तय कर सकता है। हेट स्पीच के हर आरोप पर ऑटोमैटिक गिरफ्तारी या मैकेनिकल जबरदस्ती कार्रवाई को ज़रूरी नहीं बनाते हैं। वे चाहते हैं कि राज्य एफआईआर दर्ज करे और निष्पक्ष, तेज़ जांच सुनिश्चित करे, जो इस मामले में पहले ही हो चुकी है।
