बिलासपुर । भिलाई में बरसों पूर्व हुए बहुचर्चित जयचंद वैद्य अपहरण काण्ड में अपहृत को अपने घर में डेढ़ माह रखने वाले आरोपी आशोक सिंह उर्फ़ मैनेजर को हाईकोर्ट ने संदेह के लाभ के आधार पर बरी करने का आदेश जारी किया है । ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आईपीसी की धारा 120-बी, 264-ए, 395 के तहत अपराधों के लिए अपीलकर्ता की दोषसिद्धि और संबंधित सजा को रद्द कर दिया गया है। धारा 344 और 346 में अपराध के लिये निर्धारित सजा उसने पहले ही जेल में काट ली थी, इसी वजह से इस क्रिमिनल अपील को मंजूर किया गया ।
अधिवक्ता बी पी सिंह और सुधांशु के सिंह द्वारा पेश क्रिमिनल अपील के मुताबिक़ 29 मार्च 2001 को कुम्हारी पेट्रोल पंप और देबू मोटर्स के मालिक जयचंद वैद्य का आरोपियों ने कार से रायपुर शैलेन्द्र नगर घर लौटते समय शाम को अपहरण कर लिया था । यहाँ से इसे झारखंड के कोडरमा ले जाया गया । वैद्य को अशोक सिंह उर्फ़ मैनेजर के घर पर 44 दिन बंधक बनाकर रखा गया था । बाद में आरोपियों के कहने पर अपहृत कारोबारी के पुत्र सिद्धार्थ ने ट्रेन से 25 लाख रूपये ट्रेक पर फेंक दिए थे । इसे पहले ही एक तिरंगा रखे आदमी को देने कहा गया था जो ट्रेक के किनारे खड़े होकर लाल घोडा काला लगाम कोड वर्ड बोल रहा था । इस ट्रेन में पुलिस अधिकारी जोनाथन भी थे । पैसे मिलते ही अपराधियों ने मुगलसराय स्टेशन के पास जयचंद को छोड़ दिया था । इन्हें सिद्धार्थ आदि अपने साथ जबलपुर रिश्तेदार ज्ञानचंद कोचर के घर ले गए । इन सबका बयान हुआ । आरोपी उपेन्द्र सिंह पहाड़गंज दिल्ली से पकड़ा गया । इस मामले सांसद रामा सिंह को भी आरोपी बनाया गया था जो दुर्ग कोर्ट से इस मामले में बरी किया गया । तीन चार चरणों में फैसला हुआ, अशोक सिंह की भी 2003 में अंतरिम बेल कराई गई मगर वह फरार हो गया था । 2017 में वह पकड़ा गया सांसद के साथ ही इसका ट्रायल चला । यहाँ उम्र कैद की सजा सुनाई गई । इसके खिलाफ ही हाईकोर्ट में अपील की गई । जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस संजय जायसवाल की डीबी ने सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आईपीसी की धारा 120-बी, 264-ए, 395 के तहत अपराधों के लिए अपीलकर्ता की दोषसिद्धि और संबंधित सजा को रद्द कर दिया । धारा 344 और 346 में अपराध के लिये निर्धारित सजा उसने पहले ही जेल में काट ली थी, इसी वजह से इस क्रिमिनल अपील को मंजूर किया गया ।

kamlesh Sharma

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