प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या के आरोपितों की अपील खारिज
00 बेटी पिता के लापता होने की जानकारी चाचा को देने की कोशिश की, तो माँ ने उसे रोक दिया
00 अदालत ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य में बेटी की इस कथन को महत्वपूर्ण कड़ी माना
बिलासपुर। जस्टिस गौतम भादुड़ी एवं जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डीबी ने षड्यंत्र कर प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर शव फेकने व पुलिस को गुमराह करने गुम इंसान कायम कराने के आरोपित पत्नी व उसके प्रेमी की अपील को खारिज कर सत्र न्यायालय से सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को यथावत रखा है।
रायपुर धनेली निवासी श्रीमती नीरा साहू पति खूबचंद साहू उम्र 35 वर्ष ने 5 अक्टूबर 2017 को सिलतरा थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसका पति खूबचंद साहू 27 सितंबर 2017 की रात 10 बजे घर से निकला था, वह अत्यधिक शराब पीने वाला है। परिवार में खोज करने के बाद भी नहीं मिलने पर रिपोर्ट लिखाने की बात कही गई। पुलिस ने मामला दर्ज किया। जांच के दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि रिपोर्ट करने वाली पत्नी का गांव के भोजराम साहू से अवैध संबंध है। इसका पति विरोध करता था, इस बात पर पति पत्नी के बीच विवाद होता था। इस पर पुलिस ने गुप्त सूचना तंत्र को सक्रिय किया। 27-28 सितंबर 2017 की दरम्यानी रात भोजराम साहू गांव के नाबालिग के साथ उसके घर गया। वहाँ नाबालिग व उसकी पत्नी खूबचंद का पैर व बाह पकड़े तथा आरोपी भोजराम उसके सिर में हथौड़े से गई बार वार कर हत्या कर दी। साक्ष्य मिटाने आरोपी ने लाश को थैली में भर कर उसमें भारी पत्थर रखकर कुआँ में फेंक दिया। मृतक जिस गद्दा व तख्त में सोता था उसे लेजाकर नदी में फेंक दिया। पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर कुआँ से शव, हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा, खून लगे कपड़ा व गवाहों के बयान दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया। सत्र न्यायालय ने आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके खिलाफ आरोपितों ने हाई कोर्ट में अपील पेश की। अपील में कहा गया कि आरोपितों को संदेह पर परिस्थितिजन्य साक्ष्य में सजा सुनाई गई। सिर्फ सन्देह पर किसी को सजा नहीं दी जा सकती। सरकारी वकील ने इसका विरोध किया एवं कहा कि उन्हीं के निशानदेही पर पुलिस ने कुआँ से शव, हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा, खून लगे साड़ी, टी शर्ट जब्त किया है। कोर्ट ने सुनवाई उपरांत आरोपितों की अपील खारिज कर दिया है।
अपील खारिज होने का आधार
हाई कोर्ट ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की कड़ी जुड़ने के सिद्धांत को देखना चाहिये। इसमे मृतक की पुत्री रानी पिता के लापता होने की बात अपने चाचा को बताने की कोशिश की तब आरोपी नीरा ने उसे रोक दी। आरोपी के बताने पर ही पुलिस ने अलमारी में रखे खून लगे साड़ी जब्त किया। आरोपी भोजराम द्वारा खरीद कर दिया गया मोबाइल व भोजराम का मोबाइल जब्त किया गया। दोनों के मध्य लगातार हुए बात का कालरिकार्ड व रानी द्वारा लगातार फोन आने की गवाही ने अपराध के कड़ियों को जोड़ा है। इस कारण न्यायालय ने सजा सुनाने में कोई गलती नहीं की है।
