रिटायर्ड इन्सपेक्टर के विरूद्ध वसूली आदेश निरस्त
0सभी देयकों के भुगतान का निर्देश
बिलासपुर हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्ति के ठीक डेढ़ माह पहले पुलिस निरीक्षक के वेतन से रिकवरी करने दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया है।सभी लंबित देयकों के भुगतान का भी निर्देश दिया है l
रायपुर निवासी एस. के. क्षत्री, पुलिस विभाग में कार्यालय पुलिस अधीक्षक, रायपुर में इन्सपेक्टर (एम.) के पद पर पदस्थ थे। उनकी सेवानिवृत्ति के 1.5 (डेढ़) माह पूर्व पुलिस अधीक्षक, रायपुर द्वारा उनके विरूद्ध एक वसूली आदेश जारी कर उनसे कटौती हेतु सहमति मांगी गई। उक्त वसूली आदेश से क्षुब्ध होकर उन्होंने एडवोकेट अभिषेक पाण्डेय एवं पी. एस. निकिता के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर कर वसूली आदेश को चुनौती दी गई। हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टेट ऑफ पंजाब विरूद्ध रफीक मसीह के वाद में वर्ष 2015, सुप्रीम कोर्ट द्वारा थॉमस डेनियल विरूद्ध स्टेट ऑफ केरला, हाईकोर्ट बिलासपुर की डिवीजन बेन्च द्वारा छत्तीसगढ़ शासन एवं अन्य विरूद्ध एल.आर. ध्रुव के वाद में यह न्यायदृष्टांत पारित किया गया है कि किसी भी शासकीय अधिकारी /कर्मचारी के रिटायरमेन्ट के 01 (एक) वर्ष पूर्व या रिटायरमेन्ट के पश्चात् यह कहकर कि उसे पूर्व के सेवा वर्षों में वेतनवृद्धि गलत तरीके से जुड़ जाने के कारण उसे अधिक वेतन भुगतान हुआ है, इस आधार पर शासकीय अधिकारी / कर्मचारी से किसी भी प्रकार की अधिक भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती है। उच्च न्यायालय, ने उक्त रिट याचिका की सुनवाई के पश्चात् सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांतों के आधार पर याचिकाकर्ता के विरूद्ध जारी वसूली आदेश को निरस्त कर दिया ।पुलिस अधीक्षक रायपुर को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता से वसूल की गई राशि, इसके साथ ही याचिकाकर्ता के रोके गये समस्त सेवानिवृत्ति देयक का तत्काल भुगतान करें।
