बिलासपुर। हाई कोर्ट ने ग्राम पंचायत मुर्रा के पूर्व महिला सरपंच के खिलाफ एसडीओ बेमेतरा द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट व सम्पूर्ण जांच कार्रवाई को निरस्त कर दिया है।
याचिकाकर्ता सुशीला जोशी वर्ष 2015 में चुनाव जीतने के बाद ग्राम पंचायत मुर्रा की सरपंच नियुक्त हुई थी। जनवरी 2020 में उनका कार्यकाल समाप्त हो गया और वह जिला पंचायत बेमेतरा की सदस्य चुनी गई । कार्यकाल समाप्त होने पर उन्होंने नवनिर्वाचित दूसरे सरपंच को चार्ज दिया था। 13. मई 2020 को तत्कालीन विधायक ग्राम पंचायत के दौरे में गये व एसडीओ को चार ग्राम पंचायत के संदर्भ में शिकायतें मिली हैं जिसकी जांच कर तीन दिवस के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। 14 मई को एसडीओ नवागढ़ ने ग्राम पंचायत मुर्रा के सरपंच के खिलाफ बिना किसी धारा या लीगल प्रावधान के केस रजिस्टर कर पिछले 5 वर्षों के समस्त कार्यों की जांच का आदेश दिया व सरपंच को नोटिस जारी किया । इसके संदर्भ में पूर्व सरपंच ने अपना जवाब भी प्रस्तुत कर दिया । इसके बाद केवल पेशियां बढ़ती रही। 10.जनवरी 2024 को एसडीओ के उपलब्ध नहीं होने के कारण पेशी की अगली तारीख़ 7.फरवरी 2024 निर्धारित किया गया परंतु 31.जनवरी 2024 को मामले को पूर्व डेट में लगाते हुए तत्कालीन एसडीओ ने याचिका करता पूर्व सरपंच सुशीला जोशी के उपस्थित नहीं होने के कारण उनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। इसके विरूद्ध उन्होंने अधिवक्ता प्रतीक शर्मा के माध्यम से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत की । जिसमें चलाए जा रहे समस्त कार्यवाही एवं गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के आदेश को चुनौती दी। जिसकी पहली सुनवाई में ही छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाते हुए एसडीओ नवागढ़ को तलब किया।14.मार्च 24 को एसडीओ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने न्यायालय को बताया कि वो अभी नए आए हैं और उन्होंने गिरफ्तारी वारंट के आदेश को कैंसिल कर दिया है। इसके पश्चात याचिका करता की बहस पर कि दुर्भावना पूर्वक याचिका करता के खिलाफ केस चलाया जा रहा है और पूर्व विधायक के द्वारा कोई भी डिटेल आरोप नहीं लगाने के बावजूद केवल ग्राम पंचायत मुर्रा के सरपंच के 5 वर्षों की जांच को आधार बनाकर बिना किसी धारा बिना किसी प्रावधान के आवेदीका के विरुद्ध केस चलाया जा रहा है और दुर्भावना पूर्वक गिरफ्तारी वारंटी जारी किया गया है इस कारण से समस्त प्रोसीडिंग्स और गिरफ्तारी वारंट के आदेश को रद्द किया जाए, जिसे स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति राकेश पांडेय ने याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी आदेश को भी निरस्त कर संपूर्ण कार्यवाही जो याचिका करता के खिलाफ चलाई जा रही थी उसे भी निरस्त कर दिया ।साथ ही तत्कालीन एसडीओ जिसने गिरफ्तारी का आदेश पारित किया था उसे भविष्य में ऐसा नहीं करने की चेतावनी दी है। कोर्ट ने भविष्य में पुनरावृति करने पर राज्य सरकार को उनके विरुद्ध विभागीय जांच चलाने का आदेश दिया है।
