बिलासपुर। पेंशन का उद्देश्य उन व्यक्तियों को आर्थिक सुरक्षा देना है, जिन्होंने अपना पूरा पेशेवर जीवन सार्वजनिक सेवा में समर्पित किया हो। जो व्यक्ति बार काउंसिल के सदस्य रहा हो और वकालत के दौरान सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्त हुआ हो तो वह पेंशन का हकदार नहीं है। हाईकोर्ट ने अधिवक्ता व पूर्व सूचना आयुक्त अनिल जोशी की वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने हाईकोर्ट से मुख्य सचिव के बराबर पेंशन देने का आदेश जारी करने की मांग की थी।
रायपुर के अनिल जोशी स्टेट बार काउंसिल के सदस्य रह चुके हैं। उनकी नियुक्ति राज्य सूचना आयुक्त के पद पर पांच वर्ष के लिए की गई थी। उनका कार्यकाल 22 नवंबर 2013 को समाप्त हो गया। इसके बाद, 8 जुलाई 2015 को उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें राज्य सरकार से सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन और अन्य लाभ देने की मांग की गई थी।
अनिल जोशी का दावा था कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 16 (5) के तहत उन्हें पेंशन का अधिकार है, लेकिन राज्य सरकार ने इसे लागू नहीं किया। राज्य सरकार के महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत ने कोर्ट में तर्क दिया कि आर टी आई एक्ट में राज्य सूचना आयुक्त के लिए पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है, क्योंकि यह पद आवधिक होता है और पेंशन योग्य नहीं माना जाता। हाईकोर्ट की जस्टिस संजय के. अग्रवाल की बेंच ने इस तर्क को स्वीकारते हुए कहा कि जो व्यक्ति बार काउंसिल का सदस्य रहा हो और वकालत के दौरान सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्त हुआ हो, वह पेंशन का हकदार नहीं हो सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि पेंशन का उद्देश्य उन व्यक्तियों को आर्थिक सुरक्षा देना है जिन्होंने अपना पूरा पेशेवर जीवन सार्वजनिक सेवा में समर्पित किया हो। हाईकोर्ट ने अनिल जोशी की याचिका को खारिज कर दिया।

kamlesh Sharma

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