दुष्कर्म की शिकार गर्भवती नाबिलग बच्चे को जन्म देगी, सरकार गोद ले-हाईकोर्ट
बिलासपुर। दुष्कर्म की शिकार नाबालिग के गर्भवती होने एवं विश्ोषज्ञों द्बारा 28 सप्ताह से अधिक का गर्भ होने से गर्भपात करना पीड़िता के लिए खतरनाक होने रिपोर्ट दिए जाने पर हाईकोर्ट ने भ्रूणहत्या न तो नैतिक होगी और न ही कानूनी रूप से स्वीकार्य। कोर्ट ने पीड़िता को बच्चे को जन्म देना है, राज्य सरकार उसके अस्पताल में भर्ती होने से लेकर सभी खर्च वहन करेगी। यदि नाबालिग व उसके माता-पिता बच्चे को गोद देना चाहे तो सरकार कानूनी प्रावधानों के अनुसार बच्चे को गोद लेगी। निर्देश के साथ कोर्ट ने नाबालिग के गर्भ समा’ करने मंजूरी दिए जाए पेश याचिका को खारिज किया है।
राजनांदगांव जिला निवासी दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग गर्भवती के अभिभावकों ने गर्भपात किए जाने की अनुमति देने हाईकोर्ट में याचिका पेश की थी। याचिका में जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की कोर्ट में सुनवाई हुई। उन्होंने पीड़िता का विश्ोषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठीत कर जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। 9 सदस्यों की टीम ने पीड़िता की जांच की। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि 20 सप्ताह का गर्भ समाप्त किया जा सकता है, इसके अलावा विशेष परिस्थिति में 24 सप्ताह का गर्भ पीड़िता के जीवन रक्षा के लिए हो सकता है। वर्तमान मामले में पीड़िता 24 सप्ताह से अधिक के गर्भवती है। ऐसे में गर्भ समाप्त’ करना उसके स्वास्थ्य के लिए घातक है। पीड़िता का सुरक्षित प्रसव कराया जाना उचित है। भ्रूण स्वस्थ्य होने के साथ उसमें किसी प्रकार के जन्मजात विसंगति नहीं है। मेडिकल रिपोर्ट में याचिकाकर्ता की गर्भावस्था की उम्र लगभग 32 सप्ताह है और डॉक्टरों ने राय दी कि पीड़िता का सहज प्रसव की तुलना में गर्भसमाप्त करना अधिक जोखिम होगा और गर्भावस्था को समाप्त करने से इनकार कर दिया गया। इस अभिमत के साथ ही हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज करते हुए कहा कि, जांच रिपोर्ट के अनुसार भ्रूण समय से पहले जीवन के अनुकूल है और इसमें कोई स्पष्ट जन्मजात विसंगति नहीं है और इस गर्भकालीन आयु में गर्भावस्था को समाप्त करने से सहज प्रसव की तुलना में अधिक जोखिम हो सकता है। गर्भावस्था जारी रखें, भ्रूणहत्या न तो नैतिक होगी और न ही कानूनी रूप से स्वीकार्य होगी। गर्भावस्था की समाप्ति गर्भकालीन आयु सहज की तुलना में अधिक जोखिम पैदा कर सकती है। कोर्ट ने गर्भावस्था का चिकित्सकीय समापन करने से इनकार कर दिया। भ्रूण व्यवहार्य सामान्य है। याचिकाकर्ता को कोई खतरा नहीं है गर्भावस्था जारी रखने का निर्देश दिया है।
दुष्कर्म की शिकार नाबालिग पीड़िता को बच्चे को जन्म देना है, राज्य सरकार को सभी आवश्यक व्यवस्थाएं करने और सब कुछ वहन करने का निर्देश दिया गया है। यदि नाबालिग और उसके माता-पिता की इच्छा हो तो प्रसव के बाद बच्चा गोद लिया जाए। राज्य सरकार कानून के लागू प्रावधानों के अनुसार आवश्यक कदम उठाएगी।
