कर्मचारी को अधिक वेतन भुगतान करने का विभाग को 19 वर्ष बाद याद आया
00 अन्यायपूर्ण व कठोर होगा वसूली आदेश
बिलासपुर। विभाग को गलती से कर्मचारी को अधिक वेतन दिए जाने की जानकारी 19 वर्ष बाद हुई व सेवानिवृत्त होने के बाद वसूली आदेश जारी किया गया। कोर्ट ने वसूली आदेश को कर्मचारी के प्रति अन्यायपूर्ण व कठोर माना व वसूली आदेश को रद्द किया है। कोर्ट ने वसूली गई राशि 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से 45 दिवस के अंदर लौटने का निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता जितेंद्र सिंह बघेल जल संसाधन विभाग में अधीक्षक के पद में कार्यरत थे। 31 दिसम्बर 2017 को सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्त होने के बाद विभाग ने 12 अप्रैल 2018 को गलती से 194819 रुपए अधिक वेतन दिए जाने पर उक्त राशि का वसूली आदेश जारी किया। इसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में वसूली आदेश को रद्द करने, अंतिम वेतन के अनुसार पेंशन निर्धारण, ग्रेच्युटी, अवकाश नगदीकरण राशि दिलाने की मांग की गई। याचिका में जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता को 1997 में संशोधित वेतनमान दिया गया। विभाग को इस गलती की जानकारी 19 वर्ष बाद हुई। 2016 में नोटिस जारी किया गया। इसका उन्होंने जवाब भी दिया है। 31 दिसम्बर 2017 को सेवानिवृत्त हुई। कोर्ट ने कहा ऐसे मामले में कर्मचारियों से वसूली की जाती है तो यह अन्यायपूर्ण व कठोर आदेश होगा। कोर्ट ने विभाग के वसूली आदेश को रद्द किया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से वसूली गई राशि 8% वार्षिक ब्याज दर से 45 दिवस के अंदर लौटने का आदेश दिया है।

kamlesh Sharma

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