ग्रामीण यांत्रिकी विभाग का उपयंत्री 25 वर्ष बाद रिश्वत लेने के आरोप से मुक्त हुआ
00 जीवन धारा योजना के अनुदान राशि जारी करने रिश्वत लेने का आरोप लगा था
बिलासपुर। जीवन धारा योजना के तहत सिंचाई के उद्देश्य से कुएं का निर्माण हेतु स्वीकृति अनुदान राशि का अंतिम किश्त जारी करने नवंबर 1999 को एक हजार रुपए रिश्वत मांगने व लेने के आरोप में फसा ग्रामीण यांत्रिकी सेवा का उपयंत्री 25 वर्ष बाद आरोप से मुक्त हुआ है। हाई कोर्ट ने रिश्वत लेने के आरोप को सिद्ध नहीं होना पाया है। कोर्ट ने विशेष अदालत से सुनवाई गई सजा को निरस्त किया है।
अपीलकर्ता आर पी कश्यप सहायक अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा वर्ष 1999 में जनपद पंचायत मनेंद्रगढ़ में उपयंत्री के पद में पदस्थ था। ग्राम पंचायत केल्हारी के ग्राम बिछिया टोला निवासी प्रेम बाबू मिश्रा की पांच एकड़ कृषि भूमि में सिंचाई के उद्देश्य से जीवन धारा योजना के तहत कुएं का निर्माण हेतु 15500 रुपये अनुदान स्वीकृत हुआ। दो क़िस्त जारी करने के बाद अंतिम किश्त जारी करने उपयंत्री ने 1000 रुपये रिश्वत की मांग की। प्रेम बाबू मिश्रा ने इसकी बिलासपुर एसपी से शिकायत की। शिकायतकर्ता व उपयंत्री के बातचीत टेप कराया गया। इसके बाद शिकायतकर्ता को केमिकल लगे 100-100 रुपये मूल्य के 7 नोट देकर 24 नवंबर की सुबह 8 बजे शिकायतकर्ता को उपयंत्री के घर भेजा गया। उपयंत्री ने रुपये लेकर अपनी पत्नी को दिया। उनकी पत्नी इसमें से 100 रुपये निकालकर उपयंत्री के पेंट की जेब में रखा व 600 रुपये अलमारी में रख दी। इशारा मिलते ही टीम ने उन्हें पकड़ा व आवश्यक कार्रवाई कर भ्र्ष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत न्यायालय में चालान पेश किया। 2002 में विशेष अदालत ने उसे 3 वर्ष कठोर कारावास व 3000 रुपये अर्थ दंड की सजा सुनाई। इसके खिलाफ उपयंत्री ने हाई कोर्ट में अपील पेश की।
अपील में कहा गया कि उसने शिकायकर्ता के पास 1500 ईट व पांच बोरी सीमेंट ट्रेक्टर से भेजा था। उसने पहले 800 रुपये दिया था व शेष बकाया रकम 1175 रूपये लेना था। इसी बकाया रकम में से 700 रुपए देकर झूठे मामले में फसाया गया । उपयंत्री ने बचाव साक्ष्य में सीमेंट दुकान के मालिक, ईंट लेजाने वाले किसान व ट्रेक्टर मालिक सहित पांच गवाह पेश किया था। अपील पर जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न न्यायदृष्टांत को देखते हुए रिश्वत लेने का आरोप सिद्ध नहीं होना पाया। उपयंत्री से जब्त 700 रुपये रखना स्वीकार किया किन्तु वे रुपये ईट, सीमेंट का होना पाया। कोर्ट ने उपयंत्री को दोषमुक्त करते हुए विशेष अदालत के निर्णय को निरस्त किया है।
