शासन ने स्कूल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भर्ती करने कोर्ट से समय लिया
बिलासपुर। अब राज्य के शालाओं में मास्टर साहब को घण्टी बजाने की जरूरत नहीं होगी। प्यून भर्ती हेतु शदन ने कोर्ट से समय लिया है। राज्य के स्कूलों में भृत्यों और अन्य चतुर्थ वर्ग कर्मियों की नियुक्ति अब तक नहीं किए जाने के मामले में महाधिवक्ता के अनुरोध पर शासन को 3 सप्ताह का समय जवाब देने के लिए दिया गया है ।
मामले में हाईकोर्ट स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रहा है। पहले स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था । सचिव स्कूल शिक्षा के शपथपत्र में केंद्र सरकार द्वारा राज्य को स्वीकृत किये गए फंड के संबंध में कोई जानकारी नहीं दिए जाने पर चीफ जस्टिस की डीबी ने सवाल किया तब महाधिवक्ता ने शासन को जवाब हेतु समय देने का नौरोध किया गया ।
ध्यान रहे कि समाचार पत्रों के माध्यम से ये बात सामने आई थी कि, शासकीय स्कूलों में शिक्षक ही चतुर्थ वर्ग कर्मचारी का काम भी कर रहे हैं और स्कूल कि घंटी भी शिक्षक ही बजाने को मजबूर हैं क्योंकि वहां कोई भृत्य ही नहीं है। स्कूलों में केंद्र शासन कि योजना के तहत इन कर्मचारियों की भर्ती होनी है। इस पर ही हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था और सुनवाई के बाद पहले चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्कूल शिक्षा सचिव से शपथपत्र माँगा था। सचिव द्वारा पेश शपथपत्र के बाद कोर्ट ने कहा है कि उक्त शपथ पत्र काफी परेशान करने वाला प्रतीत होता है क्योंकि उक्त शपथ पत्र में केंद्र सरकार द्वारा राज्य को स्वीकृत किए गए फंड के संबंध में कोई विवरण नहीं दिया गया है।
ध्यान रहे कि मिडिल स्कूल के बाद ड्रॉपआउट कम करनेराष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन के तहत बिलासपुर 2009-10 में जिले में ही 9 वीं और 10 वीं के 98 स्कूल खोले गए हैं। इन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति तो की गई पर 14 साल बाद भी चपरासी, क्लर्क और सफाई कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की गई है। 36 करोड़ खर्च कर बनाए गए स्कूलों का ताला खोलने से लेकर घंटी बजाने, स्कूल में झाड़ू लगाने, क्लर्क के काम शिक्षक ही करते हैं। स्कूलों में कम्प्यूटर है पर इंटरनेट कनेक्शन नहीं है। शिक्षकों को प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया है, इसलिए इतने सालों से कम्प्यूटर प्रिंसिपल के कमरे में धूल खाते पड़े हैं। सेटअप में संस्कृत के शिक्षक की नियुक्ति नहीं है, इसलिए दूसरे विषय के शिक्षक पढ़ाई कराते हैं।