हाई कोर्ट ने शहर में चाकू की आसान उपलब्धता और बढ़ती घटनाओं को संज्ञान में लिया
00 शासन से जवाब तलब
बिलासपुर । शहर में दुकानों पर चाकुओं की बिक्री व चाकूबाजी को संज्ञान में लेकर आज हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है । डीबी ने मुख्य सचिव , डीजीपी , आई जी बिलासपुर , कलेक्टर और एसपी बिलासपुर को पक्षकार बनाया है । साथ ही गृह विभाग के प्रमुख सचिव को भी शामिल करते हुए उनसे व्यक्तिगत शपथपत्र पर जवाब माँगा है । अगली सुनवाई 25 अगस्त को रखी गई है।
बिलासपुर में चाकूबाजी की घटनाओं के बाद दुकानों में चाकुओं की आम बिक्री को लेकर प्रकाशित समाचार पर संज्ञान लेते हुए आज हाईकोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में दर्जकर सुनवाई की । चीफ जस्टिस की डीबी ने कहा कि, खबर के अनुसार केवल सात महीनों में 120 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें सात लोगों की मौत हो गई और 122 लोग घायल हुए हैं। पुलिस के प्रयासों के बावजूद, शहर इस समस्या से जूझ रहा है और मामूली विवादों के कारण ऐसी घटनाएँ हो रही हैं। पुलिस ने कई महीनों में मामले दर्ज किए हैं, जिनमें सिविल लाइन और सरकंडा इलाकों में उल्लेखनीय घटनाएँ शामिल हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन और स्थानीय दुकानों दोनों में चाकूओं की आसान उपलब्धता इस समस्या को और बढ़ा देती है। अधिकारियों ने शस्त्र अधिनियम के तहत कार्रवाई की है, लेकिन इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए एक अधिक प्रभावी रणनीति की आवश्यकता है। इसलिए धारदार हथियारों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त नियम और प्रवर्तन आवश्यक हैं। महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भरत और उप-महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने कहा कि ऑनलाइन वेबसाइटों पर भी विभिन्न प्रकार के चाकू बेचे जा रहे हैं और राज्य ने ऐसे चाकू बेचने के विरुद्ध कार्रवाई की है ।
हाईकोर्ट ने कहा कि चूँकि पुलिस विभाग सीधे राज्य के गृह विभाग के अधीन है, इसलिए यह न्यायालय यह उचित समझता है कि ,गृह विभाग, के प्रमुख सचिव को प्रतिवादी 6 के रूप में पक्षकार बनाया जाए, जो उपरोक्त समाचार और ऐसे चाकूओं की बिक्री पर आसानी से अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करेंगे। तीन दिनों की अवधि के भीतर पक्षकारों की सूची में इन्हें शामिल करने का निर्देश दिया गया है ।