सिर्फ आई लव यू कहने भर से यौन उत्पीड़न का मामला नहीं बनता

पीड़िता की गवाही साबित नहीं कर सकी यौन उत्पीड़न,

०० दोषमुक्ति के खिलाफ पेश शासन की अपील खारिज

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने नाबालिग को आई लव यू कह कर यौन उत्पीड़न पहुंचाने के पुलिस की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी की है। इसके साथ कोर्ट ने दोषमुक्ति के खिलाफ शासन की पेश अपील को खारिज किया है।

हाईकोर्ट ने पाक्सो और एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में आरोपित युवक को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अभियोजन की कमजोर विवेचना पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि घटना में न तो यौन उद्देश प्रमाणित हुआ और न ही पीड़िता की उम्र साबित करने पर्याप्त साक्ष्य पेश किए गए। जस्टिस संजय एस. अग्रवाल की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और राज्य शासन की अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपित द्बारा आई लव यू कहने की एकमात्र घटना को यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, जब तक कि यौन उद्देश स्पष्ट न हो। पीड़िता और उसकी सहेलियों की गवाही से यह साबित नहीं हुआ कि आरोपित का व्यवहार यौन इरादे से प्रेरित था।

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मामला यह है

मामला धमतरी जिले के कुरूद थाना क्षेत्र का है। पीड़िता, जो उस समय 15 वर्ष की थी, उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि स्कूल से लौटते समय आरोपित ने उसे देखकर आइ लव यू कहा। इससे पहले भी कथित रूप से आरोपित उसे परेशान करता था। छात्रा ने शिकायत में आरोप लगाया कि युवक उसे पहले से ही परेशान कर रहा था। छात्रा की शिकायत पर शिक्षकों ने उसे डांटा फटकारा था और इस तरह की हरकत ना करने की चेतावनी भी दी थी। छात्रा की शिकायत पर पुलिस ने युवक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता आइपीसी की धारा 354 डी (पीछा करना), 5०9 (लज्जा भंग), पाक्सो एक्ट की धारा 8 (यौन उत्पीड़न की सजा) और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2) (वीए) के तहत मामला दर्ज किया था। ट्रायल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में आरोपित को बरी कर दिया था, जिसे राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद टिप्पणी करते हुए कहा कि, एक बार आइ लव यू कहने मात्र से न तो यह यौन उत्पीड़न है और न ही छेड़छाड़। अभियोजन न तो पीड़िता की उम्र साबित कर सका और न ही यौन इरादा या बार-बार पीछा करने की बात। ऐसे में आरोपित को दोषी ठहराना संभव नहीं। कोर्ट ने माना कि अभियोजन द्बारा प्रस्तुत गवाहियों में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे यह साबित हो कि आरोपित ने यौन इच्छा से प्रेरित होकर यह बात कही थी।

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यौन उत्पीड़न की परिभाषा के तहत जरूरी है शारीरिक संपर्क या स्पष्ट यौन मंशा-

हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न के लिए सिर्फ टच या फिजिकल कान्टैक्ट ही नहीं, बल्कि उसमें यौन मंशा का होना आवश्यक है। आरोपित का कृत्य इस परिभाषा में नहीं आता।

kamlesh Sharma

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