संतान पालन अवकाश केवल लाभ नहीं, बच्चे के जन्म को सुविधाजनक बनाने आवश्यक-हाईकोर्ट
बिलासपुर। हाईकोर्ट ने आईआईएम द्बारा गोद लिए बच्चे के लालन पालन के लिए अवकाश नहीं दिए जाने के खिलाफ पेश याचिका में कहा कि दत्तक ग्रहण, संतान पालन अवकाश केवल लाभ नहीं है, बल्कि एक ऐसा अधिकार है जो किसी महिला को उसके परिवार की देखभाल करने की मूलभूत आवश्यकता को पूर्ण करता है। माँ बनना एक महिला बच्चे जीवन की सबसे स्वाभाविक घटना है। महिला के लिए बच्चे के जन्म को सुविधाजनक बनाने हेतु जो कुछ भी आवश्यक है। नियोक्ता को विचारशील और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए उसके प्रति और शारीरिक कठिनाइयों का एहसास होना चाहिए जो एक कामकाजी महिला को होती हैं। कार्यस्थल पर अपने कर्तव्यों का पालन करते समय महिलाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जन्म के बाद बच्चे का पालन-पोषण करना होता है। में याचिकाकर्ता ने दो दिन की एक नवजात बच्ची को गोद लिया है। याचिकाकर्ता के मातृत्व अवकाश को रद्द करने के निर्णय को निरस्त कर आईआईएम को नियम, 1972 के अनुसार 180 दिन का बाल दत्तक ग्रहण अवकाश देने का निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता की वर्ष 2013 में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), रायपुर में नियुक्ति हुई है। वर्तमान में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उनका 2006 में विवाह हुआ है। विवाह के बाद उन्होंने 20 नवंबर 2023 को उन्होंने दो दिन की एक नवजात बच्ची को गोद लिया। इसके बाद, याचिकाकर्ता ने 180 दिनों के लिए बाल दत्तक ग्रहण अवकाश के लिए आवेदन किया। संस्थान ने उनके छुट्टी को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया एवं कारण बताया गया कि संस्थान की मानव संसाधन नीति में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। हालाँकि परिवर्तित अवकाश के लिए संस्थान की नीति अधिकतम 60 दिन का प्रावधान करती है। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर नियम को चुनौती दी। याचिका में जस्टिस बीडी गुरू की कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि महिला के लिए माँ बनना जीवन की सबसे स्वाभाविक घटना है।
महिला के लिए बच्चे के जन्म को सुविधाजनक बनाने हेतु जो कुछ भी आवश्यक है, जो सेवा में है, नियोक्ता को विचारशील और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए। उसके प्रति और शारीरिक कठिनाइयों का एहसास होना चाहिए जो एक कामकाजी महिला को होती हैं। कार्यस्थल पर अपने कर्तव्यों का पालन करते समय महिलाओं को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। याचिकाकर्ता दो दिन की एक नवजात बच्ची को गोद लिया है। कोर्ट ने दत्तक ग्रहण, संतान पालन अवकाश केवल लाभ नहीं है, बल्कि एक ऐसा अधिकार है जो किसी महिला को उसके परिवार की देखभाल करने की मूलभूत आवश्यकता को पूर्ण करता है। इसके साथ हाईकोर्ट ने मातृत्व अवकाश आस्वीकार करने के आदेश को निरस्त कर संस्थान को याचिकाकर्ता को 180 दिन का अवकाश देने का निर्देश दिया है।