16-17 वर्ष की सेवा के बाद भी संशोधित वेतनमान नहीं देना अवैध-हाईकोर्ट
बिलासपुर। हाईकोर्ट ने कलेक्टर दर में पिछले 16-17 वर्ष से चतुर्थ श्रेणी पद में कार्यरत कर्मचारियों का नियमितकरण व संशोधित वेतनमान नहीं दिए जाने को अवैध करार देते हुए शासन के इस कृत्य की निंदा की है। कोर्ट ने शासन को याचिकाकर्ताओं के मामले में विचार कर संशोधित वेतनमान देने का निर्देश दिया है।
वर्ष 2008 में दुर्ग, राजनांदगांव, बालोद सहित अन्य जगह वनमंडल अधिकारी द्बारा कलेक्टर दर पर चौकीदार के रिक्त पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किया गया। इसके बाद लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के उपरांत याचिकाकर्ता महेन्द्र कुमार ठाकुर, प्रशांत रंगारी, भोजराज, पोशन कुमार, श्रीमती ममता की चौकीदार के पद में नियुक्ति की गई। नियुक्ति के बाद इनके सेवा पुस्तिका भी तैयार किया गया। 16-17 वर्ष की सेवा के बाद भी उन्हें नियमित व संशोधित वेतनमान नहीं दिए जाने पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया कि नियुक्ति के बाद से याचिकाकर्ता चौकीदार के रिक्त पदों पर ही काम कर रहें। राज्य शासन के 10 मई 1984 के परिपत्र में कार्यभारित, अकास्मिक निधि से कार्यरत कर्मचारियों की सेवा 5 वर्ष होने पर उनके कार्य अनुभव के अनुसार नियमितकरण एवं संशोधित वेतनमान दिए जाने का प्रावधान है। याचिका में जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की कोर्ट में सुनवाई हुई। उन्होंने अपने आदेश में कहा वर्तमान मामले में याचिकाकर्ताओं की सेवा शर्तें इस प्रकार होंगी नियम 1975 और पेंशन नियम 1979 के तहत शासित है। आकस्मिक भुगतान वाले कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारी का दर्ज़ा देने का प्रावधान है।
पशु चिकित्सा एवं अन्य विभाग के कर्मचारी को राजनांदगांव, बस्तर में नियुक्त कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान व नियमितता प्रदान किया गया। वर्तमान याचिकाकर्ताओं के मामले में यह नियम लागू होता है व पहले से कहीं बेहतर है। परिपत्र दिनांक 10.5.1984 और पहले जारी किए गए समान परिपत्र है। लेकिन याचिकाकर्ता, जो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं, को अवैध रूप से उनके अधिकारों से वंचित किया गया है। याचिकाकर्ता परिपत्र दिनांक 10.5.1984 नियमों का लाभ पाने के हकदार है।1975 और पेंशन नियम, 1979 का उल्लंघन किया गया है। इसमें अधिकारियों द्बारा प्रतिक्रिया व्यक्त करना अत्यंत निदनीय है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 16-17 वर्ष की नौकरी होने पर प्रतिवादी प्राधिकारियों को मामले पर विचार करने व याचिकाकर्ता पहले ही नियमित हो गए हैं, इस लिए संशोधित वेतनमान देने का आदेश दिया है।