गवाहों के बयान में विसंगतियां , मृत्युपूर्व बयान मिसाल नहीं बन सकता-हाई कोर्ट
बिलासपुर । हाईकोर्ट ने पत्नी को जलाकर मारने के एक मामले में मृतका के पिता की अपील खारिज करते हुए कहा है,कि गवाहों के बयानों की विसंगतियों को देखते हुए, मृत्युपूर्व बयान को मिसाल नहीं बनाया जा सकता है*एडीजे सेकेंड बलौदा बाजार का निर्णय बरकरार रहा , जिसमें प्रतिवादी पति को संदेह का लाभ दिया गया था ।
रिसार ग्राम बलौदा बाजार जिला निवासी गौतम धृतलहरे की शादी इसी जिले के करमाडीह ग्राम निवासी दुलौरिन बाई से मार्च 2011 में हुई थी* आरोप है कि पति ने 20 मार्च 2012 को मृतक पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी जिससे उसकी मौत हो गई । अभियोजन पक्ष के अनुसार, उसी तारीख को 20/03/2012 को नायब तहसीलदार द्वारा मृत्युपूर्व बयान दर्ज किया गया था। इसमें, यह कहा गया था कि पति ने मामूली विवाद पर उस पर मिट्टी का तेल दाल आग लगा दी। मृतका की मां, पिता और बहन ने भी इसकी पुष्टि की,क्योंकि मृतका को पहले बलौदा बाजार शासकीय अस्पताल ले जाया गया था। बाद में उसे बेहतर इलाज के लिए रायपुर के मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां बेटी ने कहा कि पति ने उसे जिंदा जला दिया है। 24 मार्च2012 को उसकी मृत्यु हो गई और पोस्टमार्टम के अनुसार मौत का कारण गंभीर रूप से जलने के कारण हुई हत्या था। मृतका की मां और बहन अर्थात् कमला बाई और सुनीता ने भी आरोप लगाया। सत्र न्यायलय में पति ने मुकदमे के दौरान अपने अपराध से इन्कार कर दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से 19 गवाहों की जांच की गई और 26 दस्तावेज पेश किए गए। सत्र न्यायालय ने अकेले मृत्यु पूर्व दिए गए बयान पर विश्वास नहीं किया और पति को संदेह का लाभ दिया। इसके खिलाफ मृतका के पिता ने हाईकोर्ट में अपील की । यहां जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डीबी में सुनवाई हुई ।
गवाहों के बयानों में विसंगतियां
इस मामले में प्रेमलाल भारद्वाज रतनलाल और दुलीचंद गेंदले इन गवाहों के बयानों में विसंगतियां हैं, जो मृत्युपूर्व बयान पर हस्ताक्षरकर्ता है। नायब तहसीलदार ने केवल मृत्युपूर्व बयान प्रेमलाल का समर्थन किया है और एक अन्य मौखिक मृत्युपूर्व बयान जो मृतका की मां कमला बाई और बहन सुनीता के समक्ष दिया गया बताया गया है, उसकी पुष्टि पिता धरमदास द्वारा नहीं की गई है, जो उनके साथ वहां मौजूद थे। उन विसंगतियों को देखते हुए, मृत्युपूर्व बयान को मिसाल नहीं बनाया जा सकता है। गवाहों के बयानों के बीच विसंगतियां आपस में जुड़ी हुई हैं, जिससे संदेह पैदा होगा और इसे स्वीकार करने में बाधा उत्पन्न होगी।. अदालत का विचार है कि, एडीजे सेकेंड बलौदा बाजार, द्वारा 13 मार्च 2013 को पारित निर्णय में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है । कोर्ट ने इसके साथ ही अपील खारिज कर दी ।