बिलासपुर। गैरकानूनी सभा का प्रत्येक सदस्य दंगे के अपराध का दोषी है, भले ही उसने स्वयं बल या हिंसा का प्रयोग ना किया हो। उस सभा के सामान्य उद्देश्य के अभियोजन में ऐसे सदस्य को पता था कि कोई अपराध किया जा सकता है, तब उस सभा का प्रत्येक सदस्य गैरकानूनी सभा द्वारा किए गए अपराध के लिए दोषी है । कोर्ट ने चर्चित भैरमगढ़ सरपंच व उसके भाई की हत्या में शामिल नक्सलियों की अपील को खारिज कर एनआईए कोर्ट से दी गई सजा को यथावत रखा है।
हाईकोर्ट ने नक्सलियों के मामले में इस आशय का फैसला देते हुए हत्या के प्रकरण में पांच नक्सलियों की याचिका खारिज करते हुए आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है।
शिकायतकर्ता रवीन्द्र फरसा ग्राम पंचायत हिंगम का सरपंच था। 24 नवंबर 2018 की शाम को क्षेत्र समिति शाभैरमगढ़ क्षेत्र के 60 से 70 प्रतिबंधित माओवादी जो हथियारों से लैस और वर्दीधारी थे सरपंच के घर पहुंचे और अपहरण कर लिया यह लोग इसके साथ ही उसके छोटे भाई दीपक फरसा और उसके पिता महरू फरसा को भी साथ ले गए। अगले दिन 25 नवंबर को दीपक फरसा की हत्या कर दी गई तो पिता महरू को घायल कर छोड़ दिया । नवंबर 2018 को रवीन्द्र फरसा की ओर से थाना जांगला, जिला-बीजापुर, में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
इस मामले में हिरमा फरसा, जग्गू फरसा, बोटी बेको, मंगलू फरसा, जिला पोयामी के खिलाफ हत्या और दूसरे मामलों में अपराध दर्ज किया गया था । विशेष न्यायाधीश (एनआईए अधिनियम/अनुसूचित अपराध) राजस्व जिला सुकमा एवं बीजापुर ने आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। इस अपील में कहा गया कि, इस घटना में वे शामिल नहीं थे और उन्हें पुलिस ने झूठे मामले में फंसाया है। सरकार की ओर से जवाब में कहा गया कि, आरोपियों ने घटना से पहले गांव में सभा की थी* सभा का उद्देश्य शुरू से ही गैरकानूनी था और आरोपी व्यक्ति उस गैरकानूनी सभा के सदस्य थे और घातक हथियारों से लैस थे। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माना कि, आरोपी व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी इस हत्या में रही है। हांईकोर्ट ने इसके साथ ही विशेष न्यायाधीश (एनआईए अधिनियम/अनुसूचित अपराध) के फैसले को बरकरार रखते हुए आरोपियों की याचिका खारिज कर दी ।

kamlesh Sharma

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