बिलासपुर । सरकार का यह दायित्व है कि वह बच्चे को सभी प्रकार की शारीरिक या मानसिक हिंसा, चोट, दुर्व्यवहार, यातना, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार, यौन शोषण से सुरक्षित करने विधायी, प्रशासनिक, सामाजिक और शैक्षिक उपाय करे।
इस आशय के निर्देश के साथ ही हाईकोर्ट ने एक छात्रा को आत्महत्या के लिए उकसाने की आरोपी शिक्षिका की याचिका में कही है। अंबिकापुर के कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल में नियमित शिक्षिका के पद पर कार्यरत सिस्टर मर्सी उर्फ एलिजाबेथ जोस के खिलाफ अंबिकापुर के मणिपुर थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई थी, इसमें 6वीं की छात्रा को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था। पुलिस ने शिकायत पर आईपीसी की धारा 305 के तहत एफआईआर दर्ज की थी। विवेचना के बाद पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट पेश की , आरोपी शिक्षिका ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें खुद के खिलाफ प्रस्तुत चार्जशीट को निरस्त करने की मांग की गई थी।
सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डीबी ने कहा कि. मौजूदा मामले में, याचिकाकर्ता पर कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल की कक्षा 6 की छात्रा अर्चिशा सिन्हा को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है, जहां वह एक नियमित शिक्षिका के रूप में काम कर रही है। इस स्तर पर, याचिका में दिए गए दावे कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं, को बीएनएसएस की धारा 528 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते समय नहीं देखा जा सकता है और याचिकाकर्ता के वकील द्वारा पेश फैसले को वर्तमान मामले से अलग किया जा सकता है। .कोर्ट ने कहा कि , इसके मद्देनजर, इस न्यायालय को याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप पत्र के साथ-साथ एफआईआर को रद्द करने का कोई आधार नहीं मिला, क्योंकि मामले 30.अगस्त को ट्रायल कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप तय करने के लिए तय किया गया है।इस के साथ कोर्ट ने शिक्षिका की याचिका को खारिज किया है।
