टीआई का दूसरी बार अनुसूचित क्षेत्र में तबादला आदेश निरस्त
बिलासपुर । हाईकोर्ट ने थाना प्रभारी को दोबारा अनूसूचित क्षेत्र में स्थानांतरित करने के मामले में सुनवाई करते हुए याचिका मंजूर कर ली है । प्रशासनिक आदेश रद्द कर विभाग को नियमनुसार कार्रवाई की स्वतंत्रता भी दी है ।
याचिकाकर्ता विजय कुमार चेलक पुलिस स्टेशन छाल, जिला रायगढ़ के स्टेशन हाउस ऑफिसर के रूप में कार्यरत थे। इनका तबादला जिला सुकमा कर दिया गया। पहले ही वह अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र नारायणपुर में पर्याप्त अवधि तक काम कर चुके हैं । एडवोकेट धीरज वानखेड़े ने याचिकाकर्ता का पक्ष रखते कहा कि किसी अन्य जनजातीय क्षेत्र में दूसरी बार स्थानांतरण करना उल्लंघन है और छत्तीसगढ़ पुलिस अधिनियम 2007 की नीति के विपरीत भी है। यह भी कहा कि स्थानांतरण आदेश पारित करते समय इस बात की कोई प्रशासनिक आवश्यकता नहीं दिखाई गई कि, याचिकाकर्ता को फिर से अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र में तैनात करने की आवश्यकता क्यों है। रिटर्न में भी यह बात सिरे से गायब है.। कुछ व्यक्तियों के संबंध में स्थानांतरण के आदेश में भी बाद में संशोधन किया गया है।
जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई । कोर्ट ने कहा कि , प्रासंगिक पुलिस अधिनियम के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि, प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर कर्मचारी को स्थानांतरित किया जा सकता है, लेकिन जहां तक वर्तमान मामले का संबंध है, विवादित आदेश अनुलग्नक पी-1 में केवल ‘प्रशासनिक आवश्यकता’ शब्द का उल्लेख है, लेकिन याचिकाकर्ता को दूसरी बार अनुसूचित जनजाति क्षेत्र सुकमा में स्थानांतरित करने में क्या प्रशासनिक आवश्यकता थी, इसका उल्लेख नहीं किया गया है। प्रतिवादियों ने भी अपनी ओर से दाखिल रिटर्न में किसी विशिष्ट प्रशासनिक आवश्यकता का खुलासा नहीं किया है। ,इस प्रकार, उपरोक्त के मद्देनजर, ऊपर उल्लिखित प्रासंगिक पुलिस अधिनियम सहित तथ्यात्मक और कानूनी स्थिति पर विचार करते हुए, आरोपित स्थानांतरण आदेश को इस प्रकार से रद्द किया जाता है, जहां तक यह याचिकाकर्ता से संबंधित है। हालांकि, प्रतिवादी सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश और 2007 के प्रासंगिक पुलिस अधिनियम के अनुसार उचित आदेश पारित करने के लिए स्वतंत्र हैं।इन टिप्पणियों के साथ याचिका स्वीकार कर ली गई ।

kamlesh Sharma

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