बहू ने जिद्द में जान देदी व बुजुर्ग सास-ससुर को 24 साल मुकदमा झेलना पड़ा
बिलासपुर। पति द्वारा राखी के लिए मायके नहीं छोड़ने से नाराज नव व्याहता ने 14 अगस्त 2001 को मेरी सास और ससुर मेरे को रोज गाली देते है और कहते है कि तुम्हारे मा बाप की गलती का सजा अब तुम भुगतोगे मैं जब से इस घर में आई हूं तब से आज तक मुझे इन लोगों ने गाली ही दी है। कल मेरे बाबा ने हाथ पैर छूकर माफी मांगी तो भी से इन लोगों का गुस्सा नहीं उतरा। इस लिए मैं यह कदम उठाने पर मजबूर है। अगर आप लोगों में से किसी को मेरी लाश मिल जाए तो कृपा करके मेरे घर वालों को दे दीजाय। लिखकर ट्रेन से कट मेरी इस पत्र के आधार पर पुलिस ने बुजुर्ग सास-ससुर के विरुद्ध दहेज हत्या का अपराध पंजीबद्ध कर अदालत में मुकदमा पेश कर दिया। विचारण न्यायालय ने अप्रैल 2002 में दोनों को धारा 304 बी दहेज हत्या के आरोप में 10 वर्ष व दहेज प्रताड़ना के आरोप में सजा सुनाई। इसके खिलाफ पति पत्नी ने हाई कोर्ट में अपील पेश की। 24 वर्ष बाद हाई कोर्ट से अपील पर निर्णय आया। हाई कोर्ट ने गवाह दस्तावेज व मृतका के माता पिता के बयान में यह पाया कि अपीलकर्ता ने कभी भी दहेज की मांग नहीं की है। मृतका जिद्दी स्वभाव अपनी मनन मर्जी करने वाली थी। हाई कोर्ट ने बुजुर्ग सास को सभी आरोप से दोषमुक्त किया है। दहेज की मांग कर बहू की हत्या का माथे पर लगा कलंक 24 वर्ष बाद धूल गया है।
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मुकदमा लंबित रहने के दौरान ससुर की 2021 में मौत हो गई। हाई कोर्ट ने उनका नाम अपील से डिलीट किया है।
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मामला यह था
रायपुर निवासी अपीलकर्ता श्रीमती शोभा व सुधाकर राव के पुत्र सतीश की 16 जनवरी 2001 को मृतका कामिनी के साथ दोनों पक्षों की उपस्थिति में शादी हुई थी। शादी के 6 माह बाद 14 अगस्त 2001 को टाटानगर-नागपुर पैसेंजर के सामने कूद कर जान दे दी।
