शहर के प्रतिष्ठित नागरिक खंडेलवाल हत्याकांड, हाईकोर्ट ने घायल विमला देवी की गवाही को विश्वसनीय माना

०० आरोपियों को आजीवन कारावास

०० निचली अदालत से दोषमुक्ति के खिलाफ अपील पेश की गई थी

बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस बीडी गुरू की डीबी ने नगर के प्रतिष्ठित नागरिक दशरथ खंडेलवाल हत्याकांड के आरोपियों की दोषमुक्ति को रद्द कर दोनों को धारा 302 में आजीवन कारावास एवं धारा 307 में 10 वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई है। लूट की नीयत से घर में घुसे आरोपियों ने दिनदहाड़े चाकू मार कर व्यवसायी की हत्या कर उनकी पत्नी को घायल किया था। दोषमुक्ति के खिलाफ उनके पुत्र एवं शासन ने हाईकोर्ट में अपील पेश की थी।

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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा

मामूली विरोधाभासों और चूकों के आधार पर घायल गवाह के साक्ष्य पर सामान्यत: संदेह नहीं किया जा सकता है और दोषसिद्धि ऐसे साक्ष्यों के आधार पर की जा सकती है, बशर्ते कि अन्य दोषपूर्ण कारकों और बरामदगी के साथ इसकी पुष्टि की जाए। अभियुक्तों के विरुद्ध ठोस कानूनी साक्ष्य मौजूद होने के बावजूद, दुर्भाग्यवश, निचली अदालत ने अपने निष्कर्ष केवल अनुमानों और अनुमानों पर आधारित किए हैं। विशेष रूप से, निचली अदालत ने घायल गवाह, श्रीमती विमला देवी की गवाही पर विश्वास नहीं किया है, जिनका साक्ष्य अभिलेख पर ठोस और विश्वसनीय है। निचली अदालत का ऐसा दृष्टिकोण एक विकृत निष्कर्ष के समान है, क्योंकि यह बिना किसी उचित आधार के निर्विवाद और विश्वसनीय साक्ष्य की अवहेलना करता है। परिणामस्वरूप, विवादित निर्णय कानून में टिक नहीं सकता और इसे रद्द किया जाना चाहिए। उपरोक्त कारणों से, जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सी. एंटनी, रामानंद यादव और तोता सिह (सुप्रा) मामले में माना है, न्याय के लिए हस्तक्षेप आवश्यक है। परिणामस्वरूप, दोनों बरी करने की अपीलें स्वीकार की जाती हैं। तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) द्बारा सत्र प्रकरण संख्या 63/2014 में पारित दिनांक 16.05.2016 के बरी करने के आक्षेपित निर्णय को एतद्द्वारा अपास्त किया जाता है। मृतक दशरथ लाल खंडेलवाल की हत्या के लिए अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302/34 के तहत दोषी ठहराया जाता है और आजीवन कठोर कारावास और 1000/- रुपये प्रत्येक के जुर्माने की सजा सुनाई जाती है। जुर्माना अदा न करने पर उन्हें 2 महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। घायल श्रीमती विमला देवी की हत्या का प्रयास करते हुए उसे चोट पहुँचाने के लिए उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 307/34 के तहत दोषी ठहराया जाता है और 1000/- रुपये प्रत्येक के जुर्माने की सजा सुनाई जाती है। जुर्माना अदा न करने पर, प्रत्येक को 15 दिन का साधारण कारावास अतिरिक्त भुगतना होगा। दोनों सजाएँ साथ-साथ चलाने का निर्देश दिया जाता है।

अभियुक्तों को निर्देश दिया जाता है कि वे इस न्यायालय द्बारा उन्हें दी गई सजा काटने के लिए आज से एक माह की अवधि के भीतर तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के समक्ष आत्मसमर्पण करें। ऐसा न करने पर, उन्हें इस न्यायालय द्बारा दी गई सजा काटने के लिए निचली अदालत द्बारा हिरासत में ले लिया जाएगा और अनुपालन रिपोर्ट इस न्यायालय को प्रस्तुत की जाएगी।

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मामला यह है

अपीलकर्ता होटल व्यवसायी अनिल खंडेलवाल पिता दशरथ खंडेलवाल 36 मॉल के पास, उसलापुर निवासी के वृद्ध माता-पिता श्रीमती विमला देवी खंडेलवाल और दशरथ लाल खंडेलवाल के साथ उनके के घर के बगल वाले एक अलग घर में रहते थ्ो। 22 नवंबर 2013 को लगभग 1:30 बजे, अपीलकर्ता अपने होटल से घर लौटा खाना खाया और सोने चला गया। लगभग उसी समय दो अज्ञात आरोपी उक्त घर पर पहुँचे, गेट से अंदर घुसे और दरवाजे की घंटी बजाई। नौकरानी समझकर, पीड़िता विमला देवी खंडेलवाल ने दरवाजा खोला, जिसके बाद दोनों आरोपी जबरन घर में घुस आए। उन्होंने चाकू लहराया, दंपति से पैसे मांगे और उन्हें जान से मारने की धमकी दी। जब मृतक दशरथ लाल खंडेलवाल ने विरोध किया, तो आरोपी ने हत्या करने के इरादे से, दंपति पर चाकू से हमला किया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। जब घायल विमला देवी ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो उनके पेट में भी चाकू मार दिया गया और बाद में हमलावरों ने उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। इसके बाद आरोपी मृतक की कलाई घड़ी और मोबाइल फोन लूटकर मौके से फरार हो गए। दशरथ लाल खंडेलवाल को श्री राम केयर अस्पताल ले जाया गया, जहाँ जाँच के बाद डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। विमला देवी को भी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी कमर पर चाकू से गंभीर चोट लगी थी।

पुत्र अनिल खंडेलवाल ने सिविल लाइन थाने में रिपोर्ट लिखाई। इस मामले में पुलिस ने विवेचना के बाद मुखबीर की सूचना पर विक्की उर्फ मनोहर सिह पुत्र वंश बहादुर सिह उम्र लगभग 19 वर्ष

वर्ष निवासी मधुबन नारियल कोठी, थाना कोतवाली, विजय चौधरी पुत्र मोती लाल चौधरी उम्र लगभग 19 वर्ष निवासी मन्नू चौक, टिकरापारा, थाना कोतवाली, जिला बिलासपुर छत्तीसगढ को गिरफ्तार कर जेल दाखिल किया। पुलिस की थ्योरी के अनुसार आरोपी मृतक के घर ऐसी सुधारने गए थे। वहां उनके घर को देख एवं लूट की नीयत से घटना दिवस को घुसे । पुलिस ने आरोपियों के पास से मृतक की घड़ी, मोबाइल व अन्य सामान बरामद किया था। सत्र न्यायालय ने आरोपियों को को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया था। इसके खिलाफ पुत्र अनिल खण्डेलवाल एवं शासन ने अलग अलग अपील पेश की थी। चीफ जस्टिस की डीबी ने अपील को स्वीकार किया है।

kamlesh Sharma

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