स्वास्थ्य मंत्री के पीए ने सड़क पर पत्नी की जन्मदिन मनाया
00 हाई कोर्ट ने कहा सरकार की निष्क्रियता अहसहनी, अब हम बता देंगे कोर्ट की ताकत क्या होती है
बिलासपुर। हाईकोर्ट ने प्रदेश में सड़कों पर जन्मदिन मनाने और सार्वजनिक स्थानों पर अव्यवस्था फैलाने की बढ़ती घटनाओं को लेकर एक बार फिर कड़ी नाराजगी जताई है। स्वास्थ्य मंत्री के पीए की पत्नी के बीच सड़क पर जन्मदिन मनाने की घटना को लेकर स्वतः संज्ञान लेकर हाईकोर्ट ने सुनवाई शुरू की है। सोमवार को जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र प्रसाद की खंडपीठ ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल कड़ी टिप्पणी की।
हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा – “अब लगता है आप लोग असफल हो चुके हैं। अगर यह स्थिति नहीं संभाली गई, तो हम सीधे उन व्यक्तियों को पक्षकार बनाकर उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाएंगे।” क्योंकि आप असहाय हैं और स्थिति को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं। अदालत का कहना था कि आप केवल एफआईआर दर्ज करवाते है और यह पांच, दस हजार का जुर्माना देकर छूट जाते है।
न्यायालय ने यह सख्त टिप्पणी उस समय की जब सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य मंत्री के निजी सचिव राजेंद्र दास द्वारा अपनी पत्नी का जन्मदिन सड़क पर मनाने का वीडियो अदालत के संज्ञान में आया। वीडियो में राजेंद्र दास अपनी पत्नी के साथ सड़क पर केक काटते और आतिशबाजी करते नजर आ रहे हैं। इस पर कोर्ट ने गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब किसी मंत्री के निजी स्टाफ का नाम ऐसे मामलों में आ रहा है, तो स्वयं मंत्री को इस इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए।
कोर्ट ने सरकार से कहा – “सिर्फ एफआईआर और जुर्माने से कुछ नहीं होगा”
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बेंच ने राज्य के महाधिवक्ता से सख्त लहजे में कहा कि सरकार केवल औपचारिक कार्रवाई तक सीमित है। “आप लोग बस एफआईआर दर्ज करते हैं, फिर आरोपी 5 या 10 हजार रुपये का जुर्माना भरकर छूट जाते हैं। इस तरह अदालत के आदेशों को बार-बार चुनौती दी जा रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो अदालत स्वयं उन लोगों पर कार्रवाई करेगी।” चीफ जस्टिस ने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं में अदालत के अधिकार को चुनौती दी जा रही है। अगर वे अदालत के अधिकार को चुनौती देना चाहते हैं तो आप उन्हें बताएंगे कि अदालत के अधिकार कैसे स्थापित किए जाए।
लगातार दोहराए जा रहे हैं ऐसे मामले
प्रदेश में सड़क पर गाड़ियां खड़ी करके या बोनट पर केक काटकर जन्मदिन मनाने का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है। लग्जरी गाड़ियों के काफिले, पटाखे, और सड़क जाम जैसे दृश्य आम हो चुके हैं। हाईकोर्ट पहले भी ऐसे मामलों पर स्वतः संज्ञान लेकर राज्य सरकार को रोक लगाने के आदेश दे चुका है, लेकिन हालात नहीं बदले।
हाल ही में वायरल हुआ वीडियो नगर निगम चिरमिरी के डोमनहिल सोनावनी नाका (दादू लाहिड़ी चौक) का बताया जा रहा है, जहां स्वास्थ्य मंत्री के निजी सचिव ने सड़क पर जन्मदिन मनाया। इस वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर साझा किया गया था, जिसके बाद यह मामला अदालत तक पहुंचा।
पूर्व में भी कई चर्चित मामले सामने आए
प्रदेश में बीच सड़क पर केक काटने और स्टंट करने के और भी मामले सामने आ चुके है जिस पर अदालत संज्ञान ले रहा है। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में 12वीं बटालियन के डीएसपी तस्लीम आरिफ की पत्नी का नीली बत्ती लगी कार के बोनट पर केक काटते हुए वीडियो वायरल हुआ था, जिस पर कोर्ट ने सख्त संज्ञान लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिसके बाद सख्त संज्ञान लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिसके बाद रायपुर में एक मॉल मालिक के बेटे, एक कांग्रेस नेता, और महापौर के पुत्र द्वारा भी सड़क पर बर्थडे सेलिब्रेशन करने के मामले सामने आए।
इसके अलावा बिलासपुर के रतनपुर बाईपास रोड पर कुछ युवकों ने तलवार से केक काटकर सड़क पर जश्न मनाया, जिससे ट्रैफिक जाम और अफरा-तफरी की स्थिति बन गई। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने 15 युवकों को गिरफ्तार किया, एक तलवार जब्त की, और उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 126(2), 191(2) तथा शस्त्र अधिनियम की धारा 25 व 27 के तहत केस दर्ज किया। इनमें 9 नाबालिग और बाकी की उम्र 18 वर्ष के आसपास थी। सकरी रोड में नेशनल हाईवे पर युवाओं के द्वारा स्टंट करते हुए सड़क जाम करने का मामला भी सामने आया था। जिसमें हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की मांग की थी। इसके अलावा सिविल लाइन थाना क्षेत्र में सड़क जामकर फिल्म अभिनेता संजय दत्त का जन्मदिन मनाने वाले के ऊपर भी हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था।
अदालत की कड़ी टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट कहा कि इस तरह की घटनाएं अदालत के अधिकार और आदेशों की अवहेलना हैं। “यदि कोई अदालत के आदेशों को चुनौती देना चाहते है, तो हम दिखा देंगे कि न्यायालय की शक्ति क्या होती है। सरकार की निष्क्रियता अब असहनीय हो चुकी है।हाईकोर्ट ने राज्य शासन से कहा कि ऐसे आयोजनों पर रोक लगाने के लिए कड़े और ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि सार्वजनिक सड़कों को निजी जश्न का मंच न बनाया जा सके।