पामगढ़ शराब भठ्ठी के गद्दीदार की हत्या कांड, हाई कोर्ट ने कहा केवल भीड़ में मौजूद होना अपराध साबित नहीं करता, सभी आरोपी दोषमुक्त
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने पामगढ़ शराब भठ्ठी में बलवा व गद्दीदार की हत्या के आरोप से सभी ग्रामीणों को दोषमुक्त किया है। कोर्ट ने माना कि केवल भीड़ में मौजूद होना अपराध साबित नहीं करता है।
दिसम्बर 2004 को पामगढ़ थाना क्षेत्र निवासी शिक्षक महेश खरे गुरु जी की मड़ाई मेला में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पीएम रिपोर्ट में मृतक गुरु जी की मौत मल्टीपल इंजुरी के कारण होना पाया गया। इसके बाद पूरे क्षेत्र में यह बात फैल गई कि गुरु जी की शराब भठ्ठी के पंडो ने हत्या की है। आक्रोशित ग्रामीण सैकड़ों की संख्या में सड़क में आकर प्रदर्शन किया। भीड़ के एक समूह ने शराब भठ्ठी में हमला कर दिया। इसमें भठ्ठी का गद्दीदार भोला गुप्ता की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने कथित रूप से भगवान लाल सहित दो दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ बलवा व हत्या का अपराध दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया। 10 वर्ष बाद अदालत ने 2015 में 14 आरोपियों को हत्या और अन्य धाराओं में उम्रकैद की सजा सुनाई। निर्णय के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील पेश की गई। हाईकोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया है।
हाईकोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि, अभियोजन पक्ष आरोपियों की उपस्थिति और उनकी पहचान को प्रमाणित नहीं कर पाया। अधिकांश गवाह शत्रुतापूर्ण हो गए और किसी ने भी घटना स्थल पर आरोपियों की स्पष्ट पहचान नहीं की। एफएसएल रिपोर्ट में भी जब्त डंडों व कपड़ों पर मिले खून का समूह मृतक से मेल नहीं खाया। अदालत ने कहा कि, केवल भीड़ में मौजूद होना अपराध साबित नहीं करता जब तक यह सिद्ध न हो कि आरोपी ने हिंसा में सक्रिय भागीदारी की हो। इसी आधार पर अदालत ने सभी 14 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।