निजी स्कूलों को उनकी वास्तविक लागत का उचित प्रतिफल मिले-हाई कोर्ट
00 सरकार को प्रतिफल राशि बढ़ाने 6 माह में निर्णय लेने का निर्देश
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत निजी स्कूलों को दी जाने वाली प्रति छात्र खर्च की प्रतिपूर्ति राशि में वृद्धि पर 6 माह के भीतर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसाइटी की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की एकलपीठ ने दिया।
याचिका में कहा गया था कि आरटीई के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा दी जाती है और इसके एवज में सरकार से स्कूलों को प्रति छात्र खर्च की प्रतिपूर्ति राशि मिलती है। यह राशि वर्ष 2013 में तय की गई थी और पिछले 12 वर्षों से इसमें कोई वृद्धि नहीं की गई है।
एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में प्राथमिक स्तर पर प्रति छात्र 7,000 रुपये और मिडिल स्कूलों में 11,400 रुपये निर्धारित हैं। जबकि अन्य राज्यों में यह राशि कहीं अधिक है, गुजरात में 13,000 रुपये, राजस्थान में 14,919 रुपये, दिल्ली में 26,908 रुपये और ओडिशा में 25,272 रुपये प्रति छात्र तक है।
बढ़ते खर्च के बावजूद दरों में सुधार नहीं-
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि पिछले एक दशक में शिक्षकों का वेतन, भवन रखरखाव, बिजली-पानी और अन्य संचालन खर्च लगातार बढ़ा है, लेकिन प्रतिपूर्ति की दरों में कोई समायोजन नहीं किया गया। इस वजह से निजी स्कूलों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि राज्य सरकार को इस विषय पर नीतिगत निर्णय लेना होगा ताकि निजी स्कूलों को उनकी वास्तविक लागत का उचित प्रतिफल मिल सके। न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिए कि राज्य सरकार 6 महीने के भीतर इस पर निर्णय ले और अदालत को उसकी जानकारी प्रस्तुत करे।