तलाक के  परिणामस्वरूप पत्नी ने अपनी पत्नी का दर्जा खो दिया-हाई कोर्ट

00 पति की संपत्ति पर उत्तराधिकार का अधिकार पत्नी के रूप में समाप्त

बिलासपुर। हाई कोर्ट ने विवाह भंग होने के बाद पति द्वारा खरीदा गया मकान में दावेदारी कर पेश की गई सिविल सूट में महत्वपूर्ण निर्णय पारित किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादी मूल वादी  (अब मृत) की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी थी, लेकिन तलाक का आदेश 31.03.2014 को पति के पक्ष में दिया गया और उनका विवाह 31.03. 2014 से भंग हो गया। इसलिए, पत्नी का पति की संपत्ति पर उत्तराधिकार का अधिकार पत्नी के रूप में समाप्त हो गया । तलाक के आदेश के परिणामस्वरूप पत्नी ने अपनी पत्नी का दर्जा खो दिया।

याचिकाकर्ता ने 11 मई 2007 में रायगढ़ निवासी जिंदल स्टील के कर्मचारी से प्रेम विवाह की थी। पत्नी द्वारा की गई क्रूरता के कारण, वे 2010 से अलग-अलग रह रहे थे। अंततः पति ने तलाक के लिये सिविल वाद  पेश की। पारिवारिक न्यायालय, रायगढ़ द्वारा  31.03.2014 के आदेश के तहत तलाक की डिक्री प्राप्त कर ली और उनका विवाह उक्त आदेश की तिथि अर्थात 31.03.2014 से भंग हो गया। तलाक की डिग्री पारित होने के खिलाफ पत्नी ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए पेश सिविल वाद  को भी पारिवारिक न्यायालय, रायगढ़  द्वारा खारिज कर दिया गया।

पति ने विवाह से पहले वर्ष 2005  मेंरा रायगढ़

में हाउस खरीदा और उसे किराए पर दे दिया था । पति की  अनुपस्थिति का फायदा उठाते हुए पत्नी ने19.12. 2012 को  लगभग 8-10 अन्य व्यक्तियों के साथ,  हाउस में जबरदस्ती घुस गई।

हाउस पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया

और तब से वह उसमें रह रही हैं। पति ने इसकी पुलिस में रिपोर्ट की। उनके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 452 और 448/34 के अंतर्गत आपराधिक मामला  दर्ज किया गया है। रायगढ़ सिविल न्यायालय से पति के पक्ष में आदेश पारित होने के खिलाफ पत्नी ने हाई कोर्ट में अपील पेश की। हाई कोर्ट ने रायगढ़ सिविल न्यायालय के आदेश की पुष्टि की व अपील को खारिज किया है।

 

 

 

kamlesh Sharma

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