बिलासपुर । छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड के अंतर्गत हुए करोड़ों के टेंडर घोटाले में शामिल आरोपियों की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है * इस घोटाले में दो कंपनियों ने मिलकर तीसरी कंपनी को फायदा पहुचाने के लिये खुलकर मदद की थी* सीजीएमएससीएल में टेंडर की शर्तें इस तरह से तैयार की गईं की सिर्फ तीन ही कंपनी इसमें क्वालीफाई कर पाई *
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड में आवश्यक मशीन और उपकरणों की सप्लाई करने 2021 में टेंडर आमंत्रित किया था * इस दौरान जिस तरह के नियम और शर्तें आवेदक कंपनियों के लिये निर्धारित की गईं थीं * उनका प्रदेश व देश की अन्य कंपनियों ने विरोध किया , कहा गया कि जिस तरह की शर्तें रखी जा रहीं हैं , उनमें तो सिर्फ 3 – 4 कंपनी ही टेंडर भरने की पात्र हो सकती हैं* शासन के स्वास्थ्य विभाग ने शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया * टेंडर में आर एम् एस और शारदा कंपनी के प्रमोटर और डायरेक्टर्स राजेश गुप्ता , अभिषेक कौशल , नीरज गुप्ता , अविनाश कुमार आदि ने अपने टेंडर में काफी बढ़ी दरों का उल्लेख किया, इससे मोक्षित कंपनी को यह टेंडर मिल गया, जिसने काफी कम दरें टेंडर में भरी हुई थीं * इस मामले में बाद में एसीबी और ईओडब्ल्यू – ने धारा 120-बी, 409 आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2), 13(1)(ए), 7(सी) के तहत मामला दर्ज किया * केस दर्ज करने के बाद एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीम ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक को गिरफ्तार किया * जिसके बाद फर्म के प्रमोटर, डायरेक्टर अविनेश कुमार, राजेश गुप्ता, अभिषेक कौशल और नीरज गुप्ता ने संभावित गिरफ्तारी से बचने अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी* इसमें कहा गया कि ऍफ़आईआर में उनका नाम नहीं है, उनके खिलाफ कोई सीधा आरोप नहीं है* वे केवल कंपनी के कर्मचारी, प्रमोटर, निदेशक और कार्यकारी निदेशक हैं, टेंडर प्रक्रिया में उनकी कोई भूमिका नहीं थी*
शासन ने कहा- टेंडर में गड़बड़ी की आशंका
राज्य शासन की तरफ से उप महाधिवक्ता डॉ. सौरभ पांडेय ने अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि रिकॉर्डर्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स ने मोक्षित कॉर्पोरेशन और श्री शारदा इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर पूल टेंडरिंग की* तीनों कंपनियों के रीजेंट के नाम, पैकेज और दरें एक जैसी थीं। यह सामान्य नहीं है* इससे साफ है कि टेंडर में गड़बड़ी की गई* अविनेश कुमार पर आरोप है कि, उन्होंने टेंडर से जुड़े दस्तावेज तैयार किए। वह CGMSCL की निविदा में शामिल रहे। जांच में यह भी सामने आया कि मोक्षित कॉर्पोरेशन के पार्टनर शशांक चोपड़ा पहले रिकॉर्डर्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स के लिए लाइजनिंग का काम करते थे। इससे दोनों कंपनियों के बीच पहले से संबंध थे