हिंदी में याचिका हिंदी में बहस, हिंदी में ही, आदेश
न्यायमूर्ति ए. के. प्रसाद ने सात याचिकाओं में पारित किऐ हिंदी में ही आदेश
विलासपुर। दैनिक भोगी कर्मियों को एकाएक काम से निकालने और उनका बकाया भुगतान नहीं देने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 45 दिन में निराकरण करने का निर्देश दिया है।
जांजगीर चांपा जिले के दूरस्थ ग्रामों में रहने वाले सावित्री साहू, श्रीमती भगवती देवांगन ,सुनील कुमार बंजारा श्रीमती धनेश्वरी,गायत्री मनहर श्रीमती शशि कला यादव, कार्तिक राम ,भानु प्रताप, करण सिंह सूर्यवंशी ,श्रीमती पूनम खरे, श्रीमती सुनीता कश्यप, देवकुमारी मरावी ,अनिरुद्ध सिंह छत्री ,श्रीमती गनेशिया देवी, श्रीमती प्रेमा भाई खरे ,गायत्री चांदने,आदि ने अपने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के मार्फत हाई कोर्ट में इस आशय की याचिका प्रस्तुत की थी कि वे जांजगीरचांपा जिले के विभिन्न विकासखंडो के अंतर्गत आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के द्वारा संचालित आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास आयुक्त के अधीन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जांजगीर एवं सहायक आयुक्त आदिवासी विकास सक्ती जिला सक्ती छत्तीसगढ़ के अधीन विभिन्न अनुसूचित जाति कन्या छात्रावासों एवं बालक छात्रावासों तथा आश्रमों में वर्षों से दैनिक मजदूर के रूप में सफाई कर्मी रसोईया आदि के काम में नियुक्त किए गए थे । एकाएक जनवरी 2025 से विभिन्न कारण बताते हुए इन्हें काम से हटा दिया गया है याचिकाकर्तागण को जून 2022 से अब तक का उनके मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया गया है जिससे वे पूर्ण रूप से बेरोजगार हो गए हैं, उनके सामने उनके परिवार के भरण पोषण की समस्या हो गई है वे काम पर रखने और बकाया का भुगतान प्राप्त करने के लिए आला अफसरो से निवेदन करते रहे हैं परंतु उसके बाद भी उन्हें पूर्ववत काम पर नहीं रखा जा रहा है। परेशान होकर उच्च न्यायालय में याचिका पेश की गई थी जिस पर न्यायमूर्ति ए.के. प्रसाद ने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जांजगीर चांपा एवं सहायक आयुक्त आदिवासी विकास सक्ती एवं अन्य को निर्देशित किया है की याचिकाकर्तागण के द्वारा उक्त आशय का अभ्यावेदन पेश किए जाने पर याचिकाकर्ता गण को पूर्ववत काम पर रखने एवं उनके बकाए का भुगतान करने संबंधी मामले का अभ्यावेदन मिलने पर 45 दिवस के भीतर निराकरण करें।न्यायमूर्ति ए.के. प्रसाद ने सभी याचिकाओं पर हिंदी में ही बहस सुनी और हिंदी में ही आमजन की भाषा में आदेश पारित किया है।

kamlesh Sharma

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