आदेश का पालन नहीं किया, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी परदेशी, आनन्द, शारदा वर्मा, प्रसन्ना को हाई कोर्ट ने तलब किया
बिलासपुर। एक अहम फैसले में, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जस्टिस संजय एस. अग्रवाल की अध्यक्षता में राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ चल रहे अवमानना मामले (CONT No. 772/2023) में सख्त निर्देश जारी किए। डॉ. दीपक कुमार शुक्ला और अन्य द्वारा दायर किया गया है, जो अदालत के पहले दिए गए आदेशों को लागू करने में हुई देरी से संबंधित है।
यह अवमानना याचिका राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों और पुनर्विचार याचिका में पारित आदेशों का पालन न करने के कारण दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन आदेशों को बरकरार रखने के बावजूद, वरिष्ठ वेतनमान, प्रवर ग्रेड और पे बैंड IV के लिए याचिकाकर्ताओं के दावों को चार महीने की निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा नहीं किया गया।
00 कोर्ट के निर्देश का पालन में असफलता
हाई कोर्ट ने बार-बार आदेशों का पालन करने को कहा:
– 8 मई 2024 प्रतिवादियों को आदेशों का पालन न करने के लिए स्पष्टीकरण देने को कहा गया था। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया, तो प्रतिवादी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा।
19 जून 2024 पहले की चेतावनी के बावजूद, आदेशों का पालन नहीं किया गया और संबंधित प्रतिवादी अदालत में उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद, उनके खिलाफ ₹1,00,000 के जमानती वारंट जारी किए गए, जो **3 जुलाई 2024** तक लागू था।
*प्रमुख जिम्मेदार व्यक्तियों को तलब किया गया**
प्रतिवादियों में शामिल सिद्धार्थ कोमल परदेशी, अंकित
आनंद, सुश्री शारदा वर्मा, और आर. प्रसन्ना को हाई कोर्ट में 10 मार्च 2025 को उपस्थित होने और यह बताने का निर्देश दिया गया है कि उनके खिलाफ अवमानना के आरोप क्यों न लगाए जाएं।
*वकील का पक्ष**
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश होते हुए अधिवक्ता एल.सी. पटने और अधिवक्ता प्रांजल अग्रवाल ने राज्य अधिकारियों द्वारा जानबूझकर देरी को उजागर किया।
“हाई कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा, प्रतिवादियों ने समय पर कार्रवाई नहीं की। यह न्यायपालिका के अधिकार और मेरे मुवक्किलों के न्याय के प्रति सीधा अनादर है श्री पटने ने कहा। सुप्रीम कोर्ट का रुख
राज्य सरकार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP No. 22748/2023) को सुप्रीम कोर्ट ने 28 नवंबर 2024 को खारिज कर दिया था। इसके अतिरिक्त, पुनर्विचार याचिका (डायरी संख्या 28612/2024) को भी सुप्रीम कोर्ट ने 19 नवंबर 2024 को खारिज कर दिया। अब इस मामले को 10 मार्च 2025 तक स्थगित कर दिया गया है, जब प्रतिवादी अदालत में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करेंगे ताकि आगे की सजा से बचा जा सके।
