दुर्घटना में मौत, हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
दुर्घटना में दो वाहन शामिल होने व एक वाहन का पता नहीं चलने पर प्रभावित किसी भी वाहन पर दावा कर सकता है- हाईकोर्ट
०० दावा अधिकरण ने आवेदन खारिज किया था, हाईकोर्ट ने मृतक को तीसरा पक्ष माना
००० 11 वर्ष बाद मृतक के आश्रितों को मुआवजा मिलेगा
बिलासपुर। हाईकोर्ट ने दुर्घटना में दो वाहन होने एवं एक वाहन के नहीं मिलने पर दावा आवेदन खारिज करने के आदेश को पल्ट दिया है। कोर्ट ने कहा दो लोगों के बीच एक दुर्घटना थी, दुर्घटना में दो वाहन शामिल होने पर घायल किसी भी वाहन पर मुआवजा का दावा कर सकता है। कोर्ट ने अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर मुआवजा देने का आदेश दिया है।
अभनपुर जिला रायपुर के ग्राम ग्राम गोतियारडीह निवासी आवेदक त्रिभुवन निराला का पुत्र रजत कुमार उम्र 24 वर्ष 21 अप्रैल 2013 की शाम को गांव के बिश्ोसर धृतलहरे के साथ उसकी मोटर साइकिल क्रमाक सीजी 04 केपी 3270 में पीछे बैकर अभनपुर जा रहा था। रास्ते में अज्ञात वाहन के चालक ने ठोकर मार दिया। इससे मोटर साइकिल स्लीप कर गिर गया एवं रजत कुमार को गंभीर चोट आई तथा 22 अप्रैल 2013 को उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ जुर्म दर्ज किया। अज्ञात वाहन का पता नहीं चलने पर पुलिस ने मामले को खात्मा के लिए भ्ोज दिया। इस पर मृतक रजत के पिता त्रिभुवन एवं उसकी दो बहनों ने मोटर साइकिल चला रहे बिश्ोसर धृतलहरे व मोटर साइकिल के मालिक उसके पिता जगत राम, बीमा कंपनी को पक्षकार बनाते हुए मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में दावा पेश किया। अधिकरण ने अज्ञात वाहन जिसकी लापरवाही से दुर्घटना हुई व रजत कुमार की मौत हुई। उस वाहन को पक्षकार नहीं बनाने पर आवेदन खारिज कर दिया। इसके खिलाफ पिता ने हाईकोर्ट में अपील पेश की। अपील में रवींद्र कुमार अग्रवाल की कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई उपरांत उन्होंने दुर्घटना दावा आवेदन खारिज करने के आदेश को निरस्त करते हुए अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा
मोटरसाइकिल सड़क पर फिसलकर गिर गई और उसे गंभीर चोटें लगीं और अंतत: मृत्यु हो गई। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि यह एक दुर्घटना थी और इसमें दो गाड़ियाँ शामिल हैं। यद्यपि अन्य हमलावर वाहन की पहचान या पता नहीं लगाया जा सका । लेकिन तथ्य यह है कि यह दो लोगों के बीच एक वाहन दुर्घटना थी। जब दो वाहन दुर्घटना में शामिल होते हैं, तो दावेदार किसी भी वाहन से मुआवजे की राशि का दावा कर सकता है। मुआवजे के आवेदन को इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि दुर्घटना में शामिल दूसरा वाहन को पक्षकार नहीं बनाया गया है ।
सर्वोच्च न्यायालय ने निम्नानुसार व्यवस्था दी . ‘समग्र लापरवाही’ का तात्पर्य दो लोगों की लापरवाही से है। गवाहों के गवाही से यह सिद्ब हुआ है कि मृतक मोटर साइकिल के पीछे बैठा था, इस लिए वह थर्ड पार्टी है। दावा अधिकारण को मामले में लापरवाही की जांच की जानी थी। लापरवाही आंशिक रूप से हो सकता है। घायल पर ‘समग्र’ रूप से लापरवाही का सिद्बांत लागू नहीं होगी और न ही इसका स्वत: अनुमान लगाया जा सकता है।
मृतक पीछे की सीट पर बैठने वाला, वह तीसरे पक्ष की परिभाषा और उसके कानूनी दायरे में आता है।
कोर्ट ने मृतक के 8000 रूपये प्रतिमाह आय होने को साक्ष्य नहीं होने पर राष्ट्रीय मजदूरी 5000 रूपये मासिक आंकल करते हुए बीमा कंपनी को 90 दिवस के अंदर 6 प्रतिशत ब्याज सहित 8 लाख 26 हजार रूपये आवेदक के खाते में जमा करने का आदेश दिया है।
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बीमा कंपनी चाहे तो वाहन चालक व मालिक से उक्त राशि बाद में वसूल सकता है
मामले में कोर्ट के समक्ष बीमा कंपनी ने जवाब प्रस्तुत कर कहा था कि दुर्घटना के समय मोटर साइकिल के चालक ने अपना वैध ड्राईविंग लाइसेंस प्रस्तुत नहीं किया। इस प्रकार बीमा शर्त का उल्लंघन किया है। इस पर बीमा कंपनी दावा भुगतान के लिए जिम्मेदार नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि मामले में मृतक तीसरा पक्ष था और दावेदार उसके आय पर निर्भर थ्ो। सुप्रीम कोर्ट द्बारा पारित फैसले के मद्देनजर यह निर्देशित किया जाता है कि बीमा कंपनी पहले संपूर्ण राशि जमा करेगी ब्याज सहित मुआवज़ा और उसके बाद, मोटरसाइकिल क्रमांक सीजी-04-केपी-3270 के मालिक एवं चालक से सम्पूर्ण राशि वसूली की जा सकती है।
