लकड़ी के बत्ता से सिर में वार किया, 20 वर्ष मुकदमा लड़ने के बाद भी दोषमुक्त नहीं हुआ
00 हाईकोर्ट ने हत्या के प्रयास के आरोप से छोड़ा किन्तु 323 में सजा सुनाई
बिलासपुर। गांव में विवाद होने पर युवक ने लकड़ी के बत्ता से ग्रामीण के सिर में वार कर घायल कर दिया। पुलिस ने युवक के खिलाफ धारा 307 के तहत मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायालय ने जुलाई 2004 को युवक को धारा 307 में 6 वर्ष कैद व 500 रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। सजा के खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील पेश की। 20 वर्ष मुकदमा लड़ने के बाद हाईकोर्ट ने युवक को पूरी तरह दोषमुक्त नहीं किया बलकि धारा 307 को बदल कर उसे धारा 323 में की सजा सुनाई। हाईकोर्ट ने जेल में निरूद्ब अवधि 6 माह 14 दिन को सजा में बदला है।
जांजगीर चाम्पा जिला के अवरीद निवासी संजय सिन्ह ने 12 फरवरी 2004 को विवाद होने पर ग्रामीण रामनाथ के सिर में लकड़ी के बत्ता से वार कर दिया। इससे रामनाथ बेहोश होकर गिर गया। उसे उपचार के लिए पहले निजी अस्पताल ले जाया गया। प्रारंभिक उपचार के बाद डॉक्टर ने उसे जांजगीर जिला अस्पताल भ्ोज दिया। अस्पताल के मेमो पर शिवरीनारायण पुलिस ने संजय सिंह के खिलाफ धारा 307 के तहत मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया। सत्र न्यायालय ने आरोपी को धारा 307 में 6 वर्ष कठोर कारावास एवं 500 रूपेय अर्थदंड की सजा सुनाई। आरोपी ने 2004 में ही हाईकोर्ट में अपील पेश की। 20 वर्ष चले इस मुकदमा में जस्टिस संजय जायसवाल की कोर्ट में अंतिम सुनवाई हुई। आरोपी की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि उसे निजी चिकित्सक के मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर सजा सुनाई गई, जबकि सरकार की अस्पताल में उपचार करने वाले चिकित्सक ने प्रतिपरीक्षण में कहा कि घायल रामनाथ के सिर में साधारण चोट रहा। वह पूरे समय ठीक था। एक्सरे में भी साधारण चोट है। हाईकोर्ट में उपचार करने वाले सरकारी डाक्टर के कथन एवं मेडिकल रिपोर्ट पर अपीलकर्ता आरोपी को धारा 323 का दोषी माना है। हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता को सुनाई गई धारा 307 की सजा को रद्द करते हुए धारा 323 में सजा सुनाई। कोर्ट ने जेल में बिताए 6 माह 14 दिन को सजा में बदला व अर्थदंड की सजा को यथावत रखा है।
