बिलासपुर । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय के अग्रवाल ने कहा कि, भले ही याचिकाकर्ता मृतक सरकारी कर्मचारी का नाजायज पुत्र हो, वह अनुकंपा के आधार पर विचार के लिए हकदार होगा। इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि, वह मृतक सरकारी कर्मचारी का नाजायज पुत्र है।
कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि यह स्पष्ट किया जाता है कि, याचिकाकर्ता को आश्रित रोजगार देने के लिए सुशीला कुर्रे की सहमति की भी आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने एसईसीएल प्रबंधन को नोटिस जारी कर कहा है कि आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से 45 दिनों के भीतर आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति देने की प्रक्रिया पूरी करे। एसईसीएल द्वारा 21.अप्रैल 2015 को जारी आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता विक्रांत कुमार लाल ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से याचिका दायर की । याचिकाकर्ता की मां विमला कुर्रे ने अपने बेटे याचिकाकर्ता के लिए आश्रित रोजगार की मांग करते याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद एसईसीएल प्रबंधन को याचिकाकर्ताओं से आवेदन लेने का निर्देश दिया था। अभ्यावेदन का निराकरण करते हुए एसईसीएल प्रबंधन ने याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन को खारिज कर दिया था। मुनिराम कुर्रे की मृत्यु 25.मार्च.2004 को हो गई थी। वह एसईसीएल में आर्म गार्ड के पद पर कार्यरत थे। मुनिराम कुर्रे की मृत्यु के समय ग्रेच्युटी नामांकन फॉर्म ‘एफ’ में सुशीला कुर्रे का नाम दर्ज था और पेंशन नामांकन फार्म में विमला कुर्रे का नाम और इनके साथ उनकी चार बेटियां मनीषा लाल, मंजूसा लाल, ममिता लाल, मिलिंद लाल और बेटा विक्रांत भी थे।
