- *हमर देस हमर परदेस*
*लगभग 47 साल पहले तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी तय करने के लिए लीलाधर भगवान श्री कृष्णा को भी करना पड़ा हस्तक्षेप*
*0शशि कोन्हेर0*
लोकसभा, विधानसभा और नगरी निकाय चुनाव के दौरान टिकट वितरण को लेकर भाजपा और कांग्रेस हाई कमान के द्वारा हस्तक्षेप कर अंतिम निर्णय लिए जाने का मामला अब सामान्य बात बनते जा रही है। अब ऐसा कोई चुनाव नहीं होता,जब भाजपा और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों का प्रत्याशी तय करने में हाई कमान को पसीना न बहाना पड़ता हो। लेकिन भाजपा जैसे संगठित संगठन के लिए तखतपुर से भाजपा का विधानसभा प्रत्याशी तय करने के लिए स्वयं भगवान लीलाधर श्री कृष्ण को 47, साल पहले जिस तरह अपनी भूमिका निभानी पड़ी। वह बहुत कम देखने को मिलती है। 47 साल पहले भारतीय जनता पार्टी तब जनता पार्टी कहलाती थी। उस दौरान आपातकाल के तुरंत बाद 1977 में तखतपुर क्षेत्र के विधानसभा चुनाव में विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का प्रत्याशी तय करने के लिए जबरदस्त विवाद उठ गया था। प्रदेश के पूर्व मंत्री और भाजपा के नेता स्वर्गीय श्री मनहरण लाल पांडे यहां से टिकट के दावेदार थे। उनके साथ श्री सुधीर दिग्रकर भी यहां से हर हाल में चुनाव लड़ना चाहते थे। कोई भी अपने कदम पीछे नहीं हटाना चाहते हैं। तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए श्री मनहरण लाल पांडे और सुधीर दिग्रसकर की दावेदारी ने काफी खींच-तान का माहौल बना दिया था। कोई भी मानने को तैयार नहीं था। आखिर में बिलासपुर शहर के तिलक नगर स्थित दिग्रसकर निवास में इस पर आर पार की बैठक होने लगी। इस मकान में एक कृष्ण मंदिर भी बना हुआ है। चर्चा के दौरान तखतपुर विधानसभा सीट के लिए भाजपा की टिकट का मामला नहीं सुलझने पर वहां मौजूद बड़े बुजुर्गों ने पूरा मामला भगवान पर छोड़ दिया। और दो चिट बनाकर भगवान को दे दी गई। इस चिट में तखतपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा टिकट के दो दावेदारों का नाम लिखी हुई दो चिट भी भगवान के सामने रख दी गई। फिर उनमें से एक चिट, एक छोटे से बच्चे से एक चिट खुलवायी गयी। उस चिट में तखतपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता पार्टी प्रत्याशी के रूप में श्री मनोहर लाल पांडे का नाम आने पर 1977 विधानसभा चुनाव के जंग में तखतपुर से श्री पांडे को पार्टी का कैंडिडेट बना लिया गया और श्री पांडे के पक्ष में पार्टी चुनाव मैदान में जूझ गई। जिसमें श्री पांडे अच्छे खासे मतों से तखतपुर विधानसभा क्षेत्र का चुनाव जीतने और तथा प्रदेश का मंत्री बनने में सफल हुए। किसी भी विधानसभा क्षेत्र में किसी भी पार्टी का कैंडिडेट तय करने में भगवान श्री राधा कृष्ण के हस्तक्षेप का यह मामला शायद पूरे देश में अपने ढंग का अनोखा प्रकरण है। बिलासपुर में तय हुए इस मामले के दौरान वहां मौजूद लोग आज भी 47 साल पुरानी इस घटना को शिद्दत से याद करते हैं।
