बिलासपुर । यह कैसा समाज है जिसमे बेटे की मौत के बाद बेवा बहू व पोती के भरण पोषण के लिए देने 40 हजार पेंशन पाने वाले ससुर के पास देने के लिये 1500 सौ रुपये नहीं है। परिवार न्यायालय के आदेश के खिलाफ पेंशन भोगी ससुर ने हाई कोर्ट में अपील पेश की थी। हाई कोर्ट ने अपील खारिज कर परिवार न्यायालय के आदेश को यथावत रखा है।
हाईकोर्ट ने पारिवारिक मामले की सुनवाई करते हुए ससुर की वह अपील नामंजूर कर दी जिसमें वह फेमिली कोर्ट द्वारा विधवा बहु और 9 साल की पोती के लिए निर्धारित भरण पोषण के आदेश का विरोध कर रहा था । 40 हजार रू पेंशन पाने के साथ ही कृषि भूमि और बड़े मकान के मालिक अपीलार्थी को हाईकोर्ट ने यह भत्ता देने समर्थ पाया । कोर्ट ने फेमिली कोर्ट के आदेश में कोई नियमितता नहीं जानकर उसे बरकरार रखा है।
बंग्लापारा , तुमगांव जिला रायपुर निवासी जनकराम साहू के बेटे अमित साहू की मृत्यु वर्ष 2022 में हो गई थी । इसके बाद उसकी पत्नी श्रीमती. मनीषा साहू, 29 वर्ष, और पुत्री  कु. टोकेश्वरी साहू उम्र लगभग 9 वर्ष रियो ग्राम टीला, पुलिस स्टेशन नयापारा, तहसील अभनपुर, जिला: रायपुर निवासी के सामने अपना जीवन चलाने का संकट हो गया । मनीषा ने पारिवारिक न्यायालय, महासमुंद में सिविल वाद पेशकर स्वयं और अपनी बेटी के लिए जीवन निर्वाह भत्ता दिलाने की मांग अपने ससुर से की । इस वाद को मंजूर कर फेमिली कोर्ट ने माँ को 1,500 रुपये प्रति माह और प्रतिवादी संख्या 2 बेटी को 500 रुपये प्रति माह देने का आदेश दिया । इसके खिलाफ ही जनकराम ने हाईकोर्ट में अपील की । जस्टिस रजनी दुबे व् जस्टिस संजय जायसवाल की डीबी में सुनवाई हुई । हाईकोर्ट में यह तथ्य साफ़ हुआ कि, प्रतिवादी नंबर 1 और 2 स्वर्गीय अमित साहू की पत्नी और बच्चे हैं जो अपीलकर्ता का बेटा है। अमित साहू की मृत्यु 2.01.2022 को हो गई। अपने जीवनकाल के दौरान, वह  दोनों प्रतिवादियों को कुल 2 हजार रुपये का रखरखाव भुगतान करते थे । यह भी स्वीकृत तथ्य है कि, अनावेदक जनकराम साहू वर्ष 2013 में बिजली विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे तथा उनकी पैतृक भूमि ग्राम झालखम्हरिया/बोरियाझार में संयुक्त खाते में स्थित है। सेवानिवृत्त होने के बाद 40,000 रू प्रति माह उन्हें पेंशन मिलती है । तुमगांव स्थित बड़े  मकान से भी किराये के रूप में प्रति माह 10,000 रुपये मिलते हैं ।
डीबी ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की वैधानिक योजना के तहत, एक विधवा बहू धारा 19 के तहत अपने ससुर से भरण-पोषण की हकदार है ।अपीलकर्ता को उत्तरदाताओं को भरण-पोषण राशि का भुगतान करने का निर्देश देते हुए और भरण-पोषण राशि को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि विद्वान ट्रायल कोर्ट ने भरण-पोषण की बहुत अधिक राशि नहीं दी , इसलिए, हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 18 के प्रावधानों के तहत फेमिली कोर्ट का आदेश न्यायसंगत और उचित है* इसके साथ ही हाईकोर्ट ने यह अपील नामंजूर कर दी *

kamlesh Sharma

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *