नेशनल ट्रस्ट सर्टिफिकेट नहीं रखने वाले एनजीओ को बंद कराने का निर्देश
बिलासपुर । प्रदेश भर में चल रहे घरोंदा सेंटरों के मामले में आज सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की डीबी ने राज्य के प्रमुख सचिव को निर्देशित किया है कि, जिन सेंटरों के पास नॅशनल ट्रस्ट सर्टिफिकेट नहीं हैं , उन्हें बंद करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मामले को अगली सुनवाई 3 सितंबर को रखा है।
हाई कोर्ट ने विशेष आवस्यकता वाले बच्चों को रखने समाज कल्याण विभाग द्वारा एनजीओ के सहयोग से चलाए जारहे घरौंदा सेंटरों में भारी अव्यवस्था को लेकर चल रहे मामले में आज चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डीबी में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता देवर्षी ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट कमिश्नरों व शासन की रिपोर्ट में अंतर है। इसके अलावा शासन ने पिछले बजट में इस पर 9 करोड़ रुपये खर्च किया। प्रदेश में ऐसे एनजीओ चल रहे जिनके पास नेशनल ट्रस्ट सर्टिफिकेट ही नहीं है। इस पर महाधिवक्ता ने कहा घरौंदा सेंटर के प्रतिमाह जांच करने का निर्देश दिया गया है। कुछ सेंटर में जगह कम है। लोग इन बच्चों के लिए मकान किराया में देने तैयार नहीं होते। इसके साथ उन्होंने ने कहा कोर्ट कमिश्नर ही हमे कोई जगह बता दे ताकि हम सेंटर को वहा शिफ्ट कर सकते है। इस पर कोर्ट ने कहा यह काम आप को करना है, कोर्ट कमिश्नर क्यों करेंगे। उन्होंने कोर्ट का काम किया है। बहस के बाद डीबी ने शासन को कहा कि घरौंदा के लिए आप सूटेबल जगह तलाश करने एवं ऐसे एनजीओ जिनके पास नेशनल ट्रस्ट सर्टिफिकेट नहीं उन्हें बंद करने की कार्रवाई करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मामले को अगली सुनवाई हेतु 3 सितंबर को रखा है।
