मानसिक अस्वस्थ मूक बधिर से दुष्कर्म के आरोपी की अपील खारिज
00 पीड़िता नहीं बोल पाई पर गांव के बच्चों ने सच्चाई को उजागर किया
बिलासपुर। दुष्कर्म पीड़िता मानसिक अस्वस्थ मूक बधिर अदालत में उसके साथ क्या हुआ था नहीं बोल पाई किन्तु गांव के बच्चों ने पूरी सच्चाई बताई। हाई कोर्ट ने बच्चों की गवाही व एफएसएल रिपोर्ट को दोष सिद्धि के लिए साक्ष्य माना है। कोर्ट ने आरोपी की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के निर्णय को यथावत रखा है। विचारण न्यायालय ने आरोपी को 376 (2) में 10 वर्ष व एट्रो सिटी एक्ट में उम्र कैद 5000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
धमतरी जिला क्षेत्र में रहने वाली मानसिक अस्वस्थ मूक बधिर 3 अगस्त 2019 की दोपहर को गांव के अन्य बच्चों के साथ आरोपी चैन सिंह के घर टीवी देख रही थी। 3.30 बजे आरोपी आया और पीड़िता का हाथ पकड़ कर खिंचते हुए कमरे का अंदर ले गया। साथ टीवी देख रहे बच्चों ने बंद दरवाजा धक्का देकर खोला तो देखा कि आरोपी पीड़िता के साथ गलत काम का रहा था। इसके बाद आरोपी उसे छोड़कर भाग गया। बच्चों ने इसकी जानकारी पीड़िता की माँ को दी। पीड़िता की माँ ने देखा कि उसके हाथों की चूड़ी टूटा हुआ व कपड़ा भी ठीक से नहीं थी। मामले की रिपोर्ट लिखाई गई। मेडिकल जांच में डॉक्टर ने पीड़िता के मानसिक अस्वस्थ व मूक बधिर होने की रिपोर्ट दी। पुलिस ने कपड़ा जप्त कर एफएसएल जांच के लिए भेजा। सुनवाई उपरांत न्यायालय ने आरोपी को 376 (2) में 10 वर्ष कैद व 5000 रुपये अर्थदंड तथा पीड़िता के अनुसूचित जनजाति वर्ग से होने पर एट्रो सिटी एक्ट में आजीवन कारावास व 5000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। इसके खिलाफ आरोपी ने हाई कोर्ट में अपील पेश की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल ने आरोपी की अपील को खारिज करते हुए सजा को यथावत रखा है।
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अपील पर यह आधार लिया गया
आरोपी ने अपील में कहा कि उसे झूठे फसाया गया। पीड़िता का परीक्षण नहीं किया गया है। पीड़िता ने इस संबंध में कुछ नहीं कहा है। हाई कोर्ट ने आदेश में कहा पीड़िता मूक-बधिर और मानसिक रूप से फिट नहीं है, वह बोल भी नहीं सकती. इसलिए उससे गवाह के रूप में पूछताछ नहीं की गई। उसकी मां का कथन है जिन गवाह जिन्होंने देखा अपीलकर्ता (आरोपी) पीड़िता को घर के अंदर खींच रहा था, और जब गवाह ने दरवाजे को धक्का दिया, उसने देखा कि अपीलकर्ता बलात्कार कर रहा था। इसके अलावा, एफएसएल रिपोर्ट से वीर्य और शुक्राणु थे , जो इस तथ्य को साबित करता है कि अपीलकर्ता ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया है। इस आधार पर कोर्ट ने आरोपी की अपील खारिज किया है।
