बिलासपुर। प्राइमरी स्कूल शिक्षक भर्ती में बीएड डिग्रीधारी सफल होने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने के खिलाफ पेश याचिका में आज चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डीबी में अंतिम बहस हुई। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया है।

4 मई 2023 को प्राइमरी स्कूल के लिए सहायक शिक्षक के रिक्त पद हेतु विज्ञापन जारी कर आवेदन आमंत्रित किया गया। इसमें आवेदक को बीएड डिग्री या डीएड डिप्लोमा होना अनिवार्य था। परीक्षा आयोजित कर जुलाई में परिणाम घोषित कर अगस्त में नियुक्ति आदेश जारी किया गया। इस परीक्षा में बीएड डिग्री धारी उम्मीदवारों का मैरिट के आधार पर चयन हुआ। इसके खिलाफ डीएड डिप्लोमा धारकों ने हाई कोर्ट में याचिका पेश की। कोर्ट ने मामले में स्टे लगाया। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में डीएड वाले उम्मीदवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेश कर देवेश शर्मा विरुद्ध राजस्थान सरकार को प्रस्तुत किया। इसमें राजस्थान सरकार ने प्राईमरी शिक्षक के पद में डीएड को मान्य किया है। इसके अलावा भारत सरकार के अधिसूचना को भी चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार के अधिसूचना को गलत ठहराया। सुको ने स्टे पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट को मामले में नए सिरे से सुनवाई कर निर्णय का निर्देश दिया। याचिका में चयनित बीएड डिग्री वाले अभ्यर्थियों को पक्षकार नहीं बनाने पर उन्होंने अलग से हस्तक्षेप याचिका पेश किए है। चीफ जस्टिस श्री रमेश सिन्हा ने सभी पक्षों को सुनने के बाद मामले को निर्णय के लिए सुरक्षित रखा है। मामले में डीएड डिप्लोमा वालों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोरा व बीएड डिग्री धारकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रविन्द्र श्रीवास्तव ने वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से पैरवी की है।

kamlesh Sharma

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