बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डीबी ने जाति प्रमाण पत्र गलत होने के आधार पर याचिकाकर्ता की नियुक्ति निरस्त करने पेश शासन की अपील को खारिज कर दिया है।
याचिकाकर्ता मोहन दास मानिकपुरी की वर्ष 1987 में रीवा वनपरिक्षेत्र में वन रक्षक के पद में अनुसूचित जनजाति वर्ग से नियुक्ति हुई थी। 1971 से पूर्व पनिका जाति अनुसूचित जनजाति वर्ग में होने के कारण तहसीलदार ने जाति प्रमाण पत्र जारी किया था। उसके सर्विस रिकार्ड में त्रुटिवश जाति एससी दर्ज कर दिया गया था। राज्य विभाजन के बाद उसे छत्तीसगढ़ कैडर दिया गया। 2008 में उसके अनुसूचित जाति के नहीं होने की जाति छानबीन समिति से शिकायत की गई। समिति ने उसके पास अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नहीं होने के आधार पर बर्खास्त करने का आदेश दिया। इसके खिलाफ उन्होंने अधिवक्ता टी के झा के माध्यम से याचिका पेश की। याचिका में कहा गया कि याची नियुक्ति के समय तहसीलदार द्वारा जारी अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था। विभागीय त्रुटि के कारण उसके सर्विस रिकार्ड में जाति एससी दर्ज किया गया है। इसमें कर्मचारी की कोई गलती नहीं है। सिंगल बेंच ने बरखस्तगी आदेश पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी कर शासन से जवाब मांगा। सभी पक्ष को सुनने के बाद कोर्ट ने नवंबर 2022 को जाति छानबीन समिति के आदेश को निरस्त कर दिया। इसके खिलाफ शासन ने 287 दिन विलंब से डीबी में अपील की। अपील पर चीफ जस्टिस की डीबी में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा 33 वर्ष तक उससे काम लेने के बाद निकाल रहे। ऐसा नहीं होगा व कोर्ट ने शासन की अपील को खरिज का दिया है। उल्लेखनीय है मामला के लंबित रहने के दौरान ही याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त हो गया है।