पागलपन के आधार पर अपराधी को पाक्सो एक्ट की सजा में छूट नहीं दी जा सकती-हाई कोर्ट
बिलासपुर। मासूम बच्ची को खाने के लिए फल देने के बहाने घर बुलाकर दुष्कर्म करने के आरोपी को सिर्फ पागलपन होने के आधार पर सजा में छूट देने पेश अपील को हाई कोर्ट ने खारिज किया है।
राजनांदगांव जिला निवासी 6 वर्ष 5 माह की बच्ची अपनी बड़ी बहन व दोस्तों के साथ दोपहर को खेल रही थी। 2.30 बजे घर के सामने रहने वाला युवक आँगन में लगे बिही पेड़ से फल देने के लिए बुलाया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। काफी देर तक बच्ची की बड़ी बहन घर आकर अपनी बड़ी माँ को बताई। जब वह आरोपी के घर गई तो देखी बच्ची दरवाजा के पास खड़ी थी। पूछने पर बच्ची ने आरोपी की हरकत की जानकारी दी। पीड़िता के माता पिता के शाम को घर वापस आने पर उन्हें बताया गया। मामले की थाना में रिपोर्ट लिखाई गई। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया। विशेष न्यायाधीश पाक्सो ने आरोपी को पाक्सो एक्ट में 20 हजार जुर्माना व स्वाभाविक मौत होने तक कैद की सजा सुनाई है। सजा के खिलाफ आरोपी ने हाई कोर्ट में अपील पेश की। अपील में कहा गया कि आरोप निर्दोष है। झूठे मामले में फसाया गया है। वह बचपन से विकलांग व मानसिक रूप से कमजोर है। उसके दिमागी कमजोरी के कारण सजा गलत है। अपील पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डीबी में सुनवाई हुई। डीबी ने मेडिकल रिपोर्ट में आरोपी को मेडिकली फट होने की रिपोर्ट दी गई। गवाहों के बयान व एफएसएल रिपोर्ट में अपराध की पुष्टि होने के आधार पर अपील को खारिज किया है। कोर्ट ने पीड़िता की उम्र 6 वर्ष 5 माह होने पर कहा कि पाक्सो के मामले में आरोपी के सिर्फ पागलपन पर सजा में छूट नहीं दी जा सकती है।
