बिलासपुर।  कानून के तहत जिस अधिकारी को शक्ति प्रदान की गई है, वही आदेश पारित कर सकता है। कानून में प्राधिकृत अधिकारी के कामकाज में उच्च अधिकारी भी हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। इसके साथ कोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को कमिश्नर सरगुजा द्वारा पद से हटाने के आदेश को खारिज किया है।
याचिकाकर्ता  स्नेहलता केरकेट्टा की 23अगस्त 2011 विश्रामपुर नगर परिषद में आंगनबाडी कार्यकर्ता के पद में नियुक्त किया गया था। नियुक्ति से व्यथित होकर रीना सोनी ने कलेक्टर सूरजपुर के समक्ष छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 की धारा 91 के तहत एक अपील दायर की। जिसमें इस आधार पर नियुक्ति को चुनौती दी गई कि याचिकाकर्ता उस वार्ड की  निवासी नहीं है,जिसके लिए उसे नियुक्त किया गया है। नियुक्ति कानून के अनुरूप नहीं है, इसे रद्द करने की मांग की गयी । नोटिस जारी होने के बाद मुख्य रूप से आपत्ति जताई गई कि,यह समय से बाधित है। हालाँकि, बाद में यह माना गया कि चूंकि याचिकाकर्ता उस वार्ड की निवासी नहीं थी जिसके लिए उसे नियुक्त किया गया था, इसलिए नियुक्ति रद्द कर दी गई और इसके बजाय  रीना सोनी  की नियुक्ति का आदेश दिया गया।  उक्त आदेश से व्यथित होकर, याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ पंचायत (अपील और संशोधन) नियम, 1995 की धारा 4 और 5 पठित धारा 91 के तहत संभागीय आयुक्त सरगुजा के समक्ष अपील दायर की। आयुक्त ने इसे निरस्त कर दिया । इसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका पेश की। याचिका में मुख्य रूप से पंचायत राज अधिनियम के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका की नियुक्ति से सहमति न होने पर अपील के प्रावधान को बताया गया। इसमें नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत की नियुक्ति के खिलाफ एसडीओ राजस्व के समक्ष अपील का प्रावधान है। याचिकाकर्ता की नियुक्ति के खिलाफ एसडीओ राजस्व को अपील के बजाय कलेक्टर को अपील किया गया। मामले की जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने सुनवाई की। कोर्ट ने अपने आदेश कहा कि कलेक्टर ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर आदेश किया। इस कारण से उक्त आदेश दूषित है। कोर्ट ने इसके साथ ही कलेक्टर सूरजपुर व कमिश्नर सरगुजा के आदेश को रद्द किया है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि, कानून के तहत जिस अधिकारी को शक्ति प्रदान की गई है, मात्र वही अधिकारी आदेश पारित कर सकता है, कोई अन्य व्यक्ति, यहां तक कि उच्चतर अधिकारी भी वैधानिक अधिकारी के कामकाज में हस्तक्षेप नही कर राकता है। याचिकाकर्ता ने 2014 में याचिका पेश की थी।

kamlesh Sharma

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