बिलासपुर। चीफ जस्टिस ने एक वार्मर में पांच बच्चों को रखे जाने का तस्वीर कहा कि है बता नही पाने व तस्वीर प्रकाशित करने वाले संस्थान द्वारा बताए जाने पर कोर्ट ने आईएएस अधिकारी के खिलाफ गंभीर टिपणी की है। कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर को यह जानकारी नहीं है कि तस्वीर कहा कि हे। क्या चंदू लाल चन्द्राकर मेडिकल कालेज सरकारी नही है।
हाईकोर्ट ने मामले में प्रतिवादी द्वारा आज सोमवार को यह बताने पर कि प्रकाशित फ़ोटो चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज का है, स्वास्थ्य सचिव को वस्तुस्थिति जांच ने के बाद रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। अस्पताल में 5 बच्चों को एक इनक्यूबेटर (वार्मर) में रखने के मामले में अब अगली सुनवाई 10 जून को होगी ।
सरकारी अस्पतालों में संसाधन न होने से बच्चों की मौत के प्रकरण में सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की वेकेशन डीबी में सुनवाई हुई । इनक्यूबेटर में एक साथ 5 बच्चे रखे जाने की फ़ोटो आने पर कोर्ट ने यह बताने को कहा था कि, तस्वीर कहां से ली गई । मामले में दुर्ग कलेक्टर की ओर से जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी कि, संबंधित फोटो जो मीडिया में आई है वह सरकारी अस्पताल की नहीं है, जिस निजी अस्पताल की है उससे पूरी जानकारी ली जा रही है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दुर्ग जिला कलेक्टर को मामले की जांच कर शपथपत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन और वैंटिलेटर के अभाव में पांच साल में 40 हजार बच्चों की मौत की खबर पर स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है। डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि, शासन की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि, सरकारी अस्पतालों में बेड और वैंटिलेटर की कमी है ।
28 दिन तक जीवित नहीं रह पाए नवजात
मामले में कोर्ट ने कहा है कि, उल्लेखित आंकड़ों से प्रदेश शिशु मृत्यु और मातृ स्वास्थ्य की विकट स्थिति का पता चलता है, विशेषकर यह नवजात शिशुओं और माताओं की मौतों की उच्च संख्या को उजागर करता है। आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में 40,000 से अधिक बच्चे, जो शून्य से 5 आयु वर्ग के हैं, जीवित नहीं रह सके । महत्वपूर्ण यह भी है कि, इनमें से लगभग 25 हजार बच्चे जन्म के 28 दिनों तक भी जीवित नहीं रह पाए। कोर्ट ने इसे बेहद गंभीर मुद्दा मानते हुए इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता बताई । वीडियो देखने के लिए k news group को देखे।
