बिलासपुर । पति और पत्नी के बीच का संबंध मुख्य रूप से पारस्परिक विश्वास पर निर्भर करता है और यदि घर में अत्यधिक विवाद होता है, जिससे पति-पत्नी में से किसी एक द्वारा जानबूझकर किए गए कृत्य के कारण दंपत्ति अपने बच्चे को खो देते है, तब सुधार का विचार समाप्त हो जाता है.
इस आशय का आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने पति द्वारा दाखिल तलाक मंजूर करने की अपील स्वीकार कर ली , वहीँ दाम्पत्य सबंधों के सुधार हेतु पेश पत्नी का आवेदन खारिज कर दिया . भिलाई स्टील प्लांट में कार्यरत अपीलकर्ता पति और बिलासपुर निवासी उनकी पत्नी में सामान्य वाद विवाद के बाद पत्नी ने अपने मासूम शिशु को गला दबाकर मार डाला और खुद भी जहर खाकर जान देने की कोशिश की । इस मामले में बाद में प्रिंसिपल जज फेमिली कोर्ट दुर्ग में पति ने तलाक का वाद पेश किया जबकि पत्नी ने दाम्पत्य संबंध पुनर्स्थापित करने आवेदन दिया । यह दोनों ही आवेदन इस कोर्ट में खारिज कर दिये । इसके बाद दोनों ने हाईकोर्ट में अलग- अलग अपील की । जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की ।सुनवाई के बाद डीबी ने कहा कि सबूतों की बारीकी से जांच करने पर, हमें प्रतिवादी की ओर से तलाक की डिक्री द्वारा विवाह के विघटन के लिए ऐसे आधार को साबित करने के लिए पेश किए गए निशान तक कोई सबूत नहीं मिला। अपीलकर्ता ने भी इस तथ्य को स्थापित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दिए हैं केवल प्रतिवादी ने उसे छोड़ दिया है और वह इस तरह अलग रहने के लिए ज़िम्मेदार नहीं थी।
हाईकोर्ट ने बहस के बाद अपीलकर्ता पति के वेतन से प्रतिवादी पत्नी को 25 हजार का गुजारा भत्ता देने का आदेश देते हुए पति द्वारा पेश तलाक की डिक्री देने का आवेदन स्वीकार कर लिया । पत्नी का आवेदन नामंजूर कर दिया ।
