कमजोर को नि:शुल्क विधिक सहायता मिले, परंतु सहायता स्वयं कमजोर नहीं होनी चाहिए-चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में आज Hunting Best Cheap Rolex Replica Watches – 100% Perfect Super Clone Fake Rolex.छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी में विधिक सहायता प्रतिरक्षा अधिवक्ताओं हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, मुख्य न्यायाधिपति, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं मुख्य संरक्षक, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी तथा छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने इस प्रशिक्षण सत्र का शुभारम्भ किया।
कार्यक्रम में न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं श्रीमती न्यायमूर्ति रजनी दुबे, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी, की भी गरिमामयी उपस्थिति रहीं।
अपने उद्घाटन संबोधन में मुख्य न्यायाधिपति ने समाज के हाशिए पर खड़े तथा वंचित वर्गों को न्याय की उपलब्धता सुनिश्चित करने में विधिक सहायता प्रतिरक्षा अधिवक्ताओं की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बल देते हुए कहा-’’ कमजोर को विधिक सहायता अवश्य मिले, परंतु विधिक सहायता स्वयं कमजोर नहीं होनी चाहिए’’ साथ ही Luxury ETA Swiss Movement Replica Watches 2025! UK.
अधिवक्ताओं को अपने ज्ञान, कौशल एवं व्यावसायिक आचार-नीति को निरंतर उन्नत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
मुख्य न्यायाधिपति ने अपने उद्बोधन में कहा कि विधिक सहायता की संरचना अब संविधान प्रदत्त विधि के समक्ष समानता एवं विधि के समान संरक्षण की गारंटी का एक सशक्त स्तंभ बन चुकी है। उन्होंने आगे कहा कि ’’आपके निरंतर प्रयासों से ही संविधान के अनुच्छेद 39 (क) का आदर्श- ’’किसी भी व्यक्ति को आर्थिक या अन्य किसी अक्षमता Best Exact Replica Watches UK Review -1:1 Quality Fake Watches EU.के कारण न्याय से वंचित नहीं किया जाएगा’’ हमारी अदालतों में प्रतिदिन साकार होता है।’’
मुख्य न्यायाधिपति ने यह रेखांकित किया कि 1 सितम्बर 2025 तक प्रदेश में 23 मुख्य विधिक सहायता प्रतिरक्षा अधिवक्ता एवं 54 उप-मुख्य विधिक सहायता प्रतिरक्षा अधिवक्ता अपनी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
जनवरी 2025 से अगस्त 2025 तक छत्तीसगढ़ राज्य में कुल 3,443 प्रकरण हमारे प्रतिरक्षा अधिवक्ताओं को सौंपे गए, जिनमें से 1,938 प्रकरण जिसमें सत्र प्रकरण एवं मजिस्ट्रेट न्यायालयों के प्रकरण सम्मिलित हैं सफलतापूर्वक निपटाए गए। इसी अवधि में 2,101 जमानत आवेदन सौंपे गए जिनमें से 2,027 जमानत प्रार्थनापत्र हमारे अधिवक्ताओं द्बारा गम्भीरता एवं निष्ठा से प्रस्तुत कर पैरवी की। यह आँकडे केवल संख्या नहीं, बल्कि उन असंख्य व्यक्तियों एवं परिवारों के विश्वास का प्रतीक हैं जिन्हें विधिक सहायता प्रतिरक्षा अधिवक्ताओं के समर्पित सेवा से न्याय पर आस्था और सुदृढ़ हुई है।
मुख्य न्यायाधिपति ने सभी विधिक सहायता प्रतिरक्षा अधिवक्ताओं का बताया कि ’’विधि की शिक्षा एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है क्योंकि विधि स्वयं निरंतर विकसित होती रहती है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सम्मिलित होकर आप बदलते समय के साथ स्वयं को ढालने, विधि के सतत विद्यार्थी बने रहने तथा न्याय की इस महान सेवा हेतु स्वयं को पुन: समर्पित करने का संकल्प पुन: पुष्ट कर रहे हैं।’’
प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश भर से आए प्रतिरक्षा अधिवक्ताओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया तथा सहभागिता एवं विचार-विमर्श किया। यह कार्यक्रम नि:शुल्क एवं प्रभावी विधिक सेवाओं की उपलब्धता को सुदृढ़ करने में निश्चित रूप से महत्त्वपूर्ण योगदान देगा।
इस अवसर पर प्रभारी रजिस्ट्रार जनरल एवं उच्च न्यायालय के अन्य रजिस्ट्री अधिकारी भी उपस्थित रहे। स्वागत उद्बोधन छत्तीसगढ़ न्यायिक अकादमी की निदेशक द्बारा दिया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव द्बारा प्रस्तुत किया गया।