धमतरी राइस मिल तिहरे हत्याकांड के आरोपी की अपील पर महत्वपूर्ण निर्णय

00 घायल प्रत्यक्षदर्शी की गवाही उच्च साक्ष्य मूल्य की होती है-हाई कोर्ट

बिलासपुर।चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डीबी ने महिला को हर हाल में पाने की चाहत में दो लोगों की निर्मम हत्या व अधमरी महिला से कथित रूप से अनाचार करने के आरोपी कलयुगी राक्षस की अपील खारिज कर निचली अदालत से सुनाई गई सजा की पुष्टि की है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि कई हत्याओं, यौन उत्पीड़न और चोरी जैसे जघन्य अपराधों से जुड़े मामलों में, घायल प्रत्यक्षदर्शी की गवाही उच्च साक्ष्य मूल्य की होती है, और उसकी घटनास्थल पर उपस्थिति स्वाभाविक रूप से उसकी चोटों से प्रमाणित होती है। जहाँ ऐसी

गवाही की पुष्टि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, चिकित्सा साक्ष्य, फोरेंसिक/डीएनए विश्लेषण और अपराधी संपत्ति की बरामदगी से होती है, अभियोजन पक्ष परिस्थितियों की एक अटूट श्रृंखला स्थापित करता है, जो अपराध को

उचित संदेह से परे साबित करने के लिए पर्याप्त है। साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत प्रकटीकरण के अनुसार बरामदगी, जब स्वतंत्र गवाहों और फोरेंसिक रिपोर्टों द्वारा पुष्टि की जाती है, तो एक मजबूत अपराध सिद्ध करने वाली परिस्थिति बनती है।

मामला यह है कि शिकायतकर्ता चंद्रहास सिन्हा ने 13 जुलाई 2017 को पुलिस थाना अर्जुनी में एक रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें कहा गया कि वह पद्मा राइस मिल, तरसीवां में मिल संचालक के रूप में कार्यरत है। उसका छोटा भाई महेंद्र सिन्हा अपनी पत्नी उषा सिन्हा और अपने दो बच्चों के साथ अलग-अलग एक बंटवारे में आवंटित मकान में रह रहे थे, जो शिकायतकर्ता के घर से सटा हुआ था। गत  12.जुलाई .2017 की रात लगभग 9:00 बजे, दोनों परिवारों ने साथ में खाना खाया और उसके बाद अपने-अपने कमरों में सोने चले गए। शिकायतकर्ता लगभग 11: बजे तक सोता रहा। अगली सुबह,13.जुलाई .2017 को लगभग 5:30 बजे, जागने पर, उसकी पत्नी दीपमाला सिन्हा ने उसे बताया कि उसने अपने घर के पास सड़क पर एक सफेद बैग में रखी एक ड्रिल मशीन भी देखी, जिसे उसकी पत्नी ने उठाकर अंदर रख लिया था।  इसके तुरंत बाद, शिकायतकर्ता चन्द्रहास की माँ रमाबाई महेंद्र के घर की ओर गईं और उसे और उसके बच्चों को आवाज़ लगाई। जब कोई जवाब नहीं मिला, तो उसने दरवाज़ा, धक्का देकर खोला और घर में दाखिल हुई। अंदर दाखिल होने पर, उसने कमरे के अंदर एक भयावह दृश्य देखा कि उसका बेटा महेंद्र सिन्हा, उसकी पत्नी उषा सिन्हा और उनका छोटा बेटा महेश सिन्हा, खून से लथपथ मृत पड़े थे और उनके सिर और चेहरे पर गंभीर चोटें थीं, जबकि बड़ा बेटा त्रिलोक सिन्हा गंभीर रूप से घायल लेकिन जीवित पाया गया।चीख-पुकार सुनकर रमाबाई के पड़ोसी रमेश सिन्हा, चतुर सिन्हा,कौशल सिन्हा और डॉ. अजय साहू मौके पर पहुँचे।घायल त्रिलोक को रमेश और चतुर तत्काल उपचार के लिए धमतरी ले गए।यह देखा गया कि अज्ञात व्यक्ति ने लोहे के औजार की मदद से महेंद्र के घर की कुंडी तोड़ अंदर घुस कर मृतकों पर हथौड़े से बार-बार वार करके कई हत्याएँ कीं हैं । रिपोर्ट के आधार पर, पुलिस स्टेशन अर्जुनी में धारा 450, 302 आईपीसी के तहत अपराध संख्या 196/2017 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।

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अधमरी महिला की खून से लथपथ चेहरे को कपड़े से ढक कर मुहकाला किया

जांच के दौरान, आरोपी जितेंद्र कुमार ध्रुव को गिरफ्तार किया गया। उसने खुलासा किया है कि अपने पिता से विवाद के बाद, वह अपनी माँ के साथ तेलिनसत्ती गाँव, जिला- धमतरी चला गया था। उसने स्वीकार किया कि वह उषा सिन्हा,, की ओर आकर्षित था और उसे पाने की इच्छा उसके मन में पैदा हुई।  12.जुलाई .2017 की उस रात धमतरी में दोस्तों के साथ शराब पीने के बाद,वह करीब 11:30 बजे अपने किराए के घर लौट आया। इसके बाद, आधी रात के आसपास, वह उषा के घर  शिकायतकर्ता चन्द्रहास के घर की छत से घुसा,मोबाइल फ़ोन की रोशनी में हथौड़ा, पेचकस, ड्रिल मशीन और लोहदंड से सबको वार कर मार दिया। अधमरी उषा सिन्हा के खून से सने चेहरे को कपड़े से ढक दिया और उसके साथ बलात्कार किया। कोई भी जीवित न बचे, आरोपी ने फिर से पीड़ितों पर हथौड़े से वार किया,पेचकस से अलमारी तोड़ी और सोने-चाँदी के गहने और नकदी लूट ली और फरार हो गया ।

निचली अदालत से तीन बार आजीवन कैद

निचली अदालत ने अभियुक्त को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (तीन बार), 376, 307, 450, 380 और 201 के अंतर्गत दंडनीय अपराध के लिए आजीवन कारावास, 376 में आजीवन, 307 व 450 में 10 वर्ष व अर्थदंड की सजा सुनाई है। आरोपी ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील पेश की थी।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डीबी ने सुनवाई के बाद कहा कि ,प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही, फोरेंसिक साक्ष्य और बरामद संपत्ति द्वारा समर्थित घटनाओं का क्रम, अभियुक्त की ओर से स्पष्ट उद्देश्य और जानबूझकर की गई योजना को दर्शाता है। हमारा सुविचारित मत है कि अभियोजन पक्ष ने अपना मामला संदेह से परे सिद्ध कर दिया है और निचली अदालत ने अभियुक्त को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (तीन बार), 376, 307, 450, 380 और 201 के अंतर्गत दंडनीय अपराध के लिए उचित रूप से दोषी ठहराया है। इसके साथ कोर्ट ने अपील खारिज किया है।

kamlesh Sharma

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