प्राचार्य पदोन्नति हेतु तय मापदंड उचित, हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की
- 00 आदिवासी विभाग से आये शिक्षक को भी लाभ मिलेगा
बिलासपुर। प्राचार्य पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा तय मापदंड को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस अमितेंद्र कुमार प्रसाद की डिविज़न बेंच ने राज्य शासन के पक्ष को सही माना है। इसी के साथ ही 2,813 व्याख्याता एलबी के प्राचार्य बनने का रास्ता भी साफ हो गया है। शिक्षा के अलावा आदिवासी विभाग से आए शिक्षकों को भी इसका लाभ मिलेगा।
प्राचार्य पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा बनाए नियमों को चुनौती देते हुए पी गलिक राव, लक्ष्मी प्रसाद रबेठ, दूज राम खरे, संजय कुमार वखारिया, रूपनारायण कुशवाहा, अनुराग त्रिवेदी, अखिलेश त्रिपाठी, आनंद प्रसाद साहू,कोमल प्रसाद साहू, पुरुषोत्तम सिंह यदु ने अपने अधिवक्ताओं के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें शिक्षकों ने कहा था कि लेक्चरर से प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति के लिए बीएड की डिग्री को ही मान्य किया जाए। डीएलएड डिप्लोमाधारक शिक्षकों को प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए अयोग्य ठहराया जाए। शिक्षकों के अलावा फोरम की ओर से एक शिक्षक ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर याचिकाकर्ता शिक्षकों की मांग का विरोध किया थ। हस्तक्षेप याचिका में कहा था कि राज्य शासन ने समय-समय पर पहले आदिवासी और फिर पंचायत विभाग के अंतर्गत नियुक्ति दी गई शिक्षा कर्मियों को शिक्षा विभाग में संविलियन किया है। लिहाजा ये शिक्षक भी पदोन्नति के हकदार हैं। हस्तक्षेप याचिका में इस बात का जिक्र किया था कि प्राचार्य का पद प्रशासनिक है। शैक्षणिक कार्य के लिए बीएड या फिर डीएलएड की अनिवार्यता रखी गई है। प्रशासनिक पद के लिए बीएड की अनिवार्यता नहीं है। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए राज्य शासन द्वारा पदोन्नति के लिए तय किए गए मापदंडों व नियमों को सही ठहराया है।
हाई कोर्ट में इस तरह चली सुनवाई
0 10 जून से शुरू हुई थी दोबारा सुनवाई
समर वेकेशन के बाद सोमवार 10 जून को बिलासपुर हाई कोर्ट में नियमित कामकाज प्रारंभ हुआ। जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच में प्राचार्य पदोन्नति को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई प्रारंभ की। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने जवाब दावा पेश करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की थी। डिवीजन बेंच ने एक दिन का समय देते हुए सुनवाई के लिए 11 जून की तिथि तय कर दी थी।
0 शिक्षकों की ज्वाइनिंग पर हाई कोर्ट हुआ था नाराज
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिक्षकों की ज्वाइनिंग का मुद्दा भी याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने जोर-शोर ने उठाया था। बताया कि व्याख्याता से प्राचार्य पद की पदोन्नति पर सात मई तक रोक थी। इसके बाद भी कई जिलों में ज्वाइनिंग जारी रही। हाई कोर्ट ने रोक के बाद भी ज्वाइनिंग को गलत बताया और शासन से पूरी रिपोर्ट मांगी थी।