न्यायिक अध्ययन जीवन पर्यन्त चलता है, और विनम्रता उसका सहचर होती है- चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा,
बिलासपुर।
छत्तीसगढ़ राज्य के जिला न्यायालयों में पदस्थ एवं वर्ष 2024 में नव- पदोन्नत जिला न्यायाधीशों (प्रवेश स्तर) के लिए ओरिएंटेशन कोर्स (अंतिम चरण) कार्यक्रम का शुभारंभआज 23/06/2025 को मुख्य न्यायाधिपति एवं मुख्य संरक्षक छत्तीसगढ़ न्यायिक अकादमी, बिलासपुर रमेश सिन्हा के द्वारा किया गया। उक्त कार्यक्रम में श्रीमती न्यायमूर्ति रजनी दुबे, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी की गरिमामयी उपस्थिति भी रही।
मुख्य अतिथि मुख्य न्यायाधिपति रमेश सिन्हा के द्वारा अपने उद्धबोधन में सभी प्रतिभागी अधिकारियों को उनकी पदोन्नति पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए व्यक्त किया गया कि, जिला न्यायालय स्तर पर न्याय की गरिमा को बनाए रखने की अब उनके ऊपर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि, एक जिला न्यायाधीश की भूमिका केवल प्रशासनिक और न्यायिक नहीं होती, बल्कि यह एक नैतिक दायित्व भी होता है, जिसमें विवेक, धैर्य और करुणा की आवश्यकता होती है।
मुख्य न्यायाधीश ने निरंतर न्यायिक शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि, “ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम कानूनी दृष्टिकोण को परिष्कृत करने, न्यायिक मूल्यों को सुदृढ़ करने, और अधिकारियों को जटिल कानूनी व मानवीय चुनौतियों से संतुलित एवं ईमानदारी पूर्वक निपटने हेतु तैयार करने में अत्यंत सहायक होते हैं।” उन्होंने अधिकारियों से निष्पक्षता, सहानुभूति और उत्तरदायित्व की भावना से युक्त न्यायिक स्वभाव अपनाने का आह्वान किया। साथ ही समयबद्ध एवं युक्तिसंगत निर्णय देने, न्यायालय में शिष्टाचारपूर्ण आचरण और जन केंद्रित न्याय प्रणाली की आवश्यकता को भी रेखांकित किया ।
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि, हाल के वर्षों में न्यायिक कार्यप्रणाली में बदलाव आया है, ई-फाइलिंग, वर्चुअल सुनवाई, डिजिटल अभिलेख और एआई आधारित उपकरणों का उपयोग के लिये भविष्य के लिए तैयार न्यायाधीशों के रूप में आपको न केवल इन परिवर्तनों को अपनाना होगा, बल्कि इन नवाचारों को न्याय की अधिक पहुँच और कुशलता हेतु उदाहरण के रूप में लागू करना होगा। उन्होंने सभी
प्रतिभागी न्यायाधीशों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि “न्यायिक अध्ययन जीवन पर्यन्त चलता है, और विनम्रता उसका सहचर होती है, कानून की गरिमा और जनता द्वारा न्यायपालिका में प्रदत्त विश्वास की रक्षा करें।” यह कोर्स उन्हें केवल कानूनी ज्ञान ही नहीं, बल्कि अपने दायित्वों को विवेक और गरिमा के साथ निभाने की प्रेरणा और दृढ़ संकल्प भी प्रदान करेगा।
यह उल्लेखनीय है कि, जिला न्यायालयों में पदस्थ एवं वर्ष 2024 में नव- पदोन्नत जिला न्यायाधीशों (प्रवेश स्तर) के लिए 23 जून 2025 से 28 जून 2025 तक ओरिएंटेशन कोर्स का आयोजन किया गया है। यह ओरिएंटेशन कोर्स नव पदोन्नत जिला न्यायाधीशों की नेतृत्व क्षमता एवं न्यायिक दक्षता को सशक्त बनाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है, ताकि वे अपने-अपने न्यायालयों का संचालन उत्कृष्टता एवं निष्ठा के साथ कर सकें। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल एवं रजिस्ट्री एवं न्यायिक अकादमी के अधिकारीगण भी उपस्थित थे।