समाज कल्याण के खिलाफ अपराध करने वाले की जमानत खारिज
० प्रदेश में मेडिकल इक्यूपमेंट सप्लाई में गड़बड़ी का मामला
बिलासपुर। हाईकोर्ट ने सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर समाज कल्याण के खिलाफ अपराध करने वाले मोक्षित कार्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा की नियमित जमानत अर्जी खारिज की। ईओडब्ल्यू व एसीबी ने उसके खिलाफ जुर्म दर्ज किया है। प्रदेश में मेडिकल इक्यूपमेंट सप्लाई में गड़बड़ी का मामला है।
सीजीएम्एससीएल के अंतर्गत हमर लेब की स्थापना की गई , इसके लिए रीएजेंट और उपचार की टेस्ट मशीनों की खरीदी की जाती है। इसमें पहले रीएजेंट और बाद में टेस्ट मशीनों की खरीदी की गई। मोक्षित कार्पोरेशन ने कुछ दूसरी कम्पनियों से मिलकर पूल टेंडरिग की। दूसरी कम्पनियों के दाम अधिक थे , कम दाम होने पर मोक्षित को ठेका दे दिया गया। इसके बाद मोक्षित ने काफी ज्यादा दामों पर सप्लाई की। 8 रूपये में आने वाली क्रीम 23 रूपये में बेचीं गई ,रीएजेंट और ट्रीटमेंट मशीनों के दाम भी बहुत अधिक थे। मशीन को हर जगह स्थापित करना था , मगर ऐसा नहीं किया गया। जिस जगह मशीनें स्थापित की गईं , वहां भी इन्हें अचानक लॉक कर दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि , शासन को करीब 400 करोड़ का घाटा हुआ है। इस दौरान 95 लाख के रीएजेंट ही बर्बाद हुए थे। इस मामले में ईओडब्ल्यू और एसीबी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 409 एवं 120 बी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(ए, 13(2) एवं 7(सी) के तहत अपराध दर्ज किया। कई सरकारी अफसरों को भी गिरफ्तार किया गया जो इसमें शामिल रहे। शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार कर कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया गया। उसने अपनी जमानत के लिए याचिका पेश की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिगल बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई उपरांत कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत आवेदन को खारिज किया है।
कोर्ट ने कहा रिहा करने के लिए यह उपयुक्त मामला नहीं
हाईकोर्ट ने कहा कि, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल आदि में कोई भी व्यक्ति भर्ती नहीं हो पा रहा है, जो राज्य के लोगों के लिए सीधा नुकसान है। आवेदक द्बारा किए गए कृत्य न केवल गंभीर आर्थिक अपराध हैं, बल्कि बड़े पैमाने पर समाज के कल्याण के खिलाफ भी अपराध हैं। इस स्तर पर आवेदक को जमानत देने से न केवल भ्रष्ट आचरण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि समाज में एक बेहद हानिकारक संदेश जाएगा, जिससे न्याय वितरण प्रणाली में जनता का विश्वास कम होगा। यह न्यायालय इस बात पर विचार करता है कि आवेदक को जमानत पर रिहा करने के लिए यह उपयुक्त मामला नहीं है। तदनुसार, पुलिस स्टेशन, आर्थिक अपराध शाखा/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, रायपुर में पंजीकृत अपराध क्रमांक 05/2025 में संलिप्त आवेदक शशांक चोपड़ा की जमानत अर्जी, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 409 एवं 120 बी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(ए, 13(2) एवं 7(सी) के अंतर्गत दंडनीय अपराध है, खारिज की जाती है।