व्यवसायी को तीन दशक बाद हाई कोर्ट से न्याय मिला
00 पावर का दुरुपयोग करने वाले पुलिस अधिकारियों को मिली अर्थदंड की सजा
बिलासपुर । पुलिस प्रताड़ना के कारण एक व्यवसायी को ढाई साल से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा 31 साल बाद उन्हें हाईकोर्ट से इन्साफ मिला ,जब उनकी अपील पर सुनवाई कर हाईकोर्ट की डीबी ने दोषी पुलिस अधिकारीयों से 5 लाख क्षतिपूर्ति वसूलने का निर्देश दिया है । वही मामले में पावर का दुरुपयोग करने वाले पुलिस अधिकारियों को उनके करनी की सजा मिली है।
सेक्टर-6 भिलाई निवासी प्रदीप जैन, प्रदीप सायकल स्टोर के नाम से व्यापार करते थे तथा पुलिस अत्याचारों के विरुद्ध समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित करते थे पुलिस अधिकारी एएसआई आर के राय उन्हें इस केस में फसाने की फिराक में थे उनके छोटे भाई की पत्नी ने आत्महत्या कर ली मामला भिलाई सिटी कोतवाली में दर्ज किया गया लेकिन आर के राय सुपेला थाने में पदस्थ थे दिनांक 28 दिसंबर 1994 की रात्रि प्रदीप जैन उनकी पत्नी साधना जैन को सुपेला थाना में लाए मामला सिटी कोतवाली भिलाई का था थाना सुपेला में भी राय ने मारपीट करते हुए यह कहा कि तुझे ऐसे केस में फसाऊंगा कि बीस साल तक जेल में सड़ जाओगे दूसरे दिन 29दिसंबर को उनकी पत्नी साधना जैन को तो सिटी कोतवाली भिलाई नगर भेज दिया गया, लेकिन प्रदीप जैन को झूठे केस में फंसाने के उद्देश्य से थाना सुपेला में रोक लिया गया तथा मोहन नगर दुर्ग थाने के अंतर्गत तितुरडीह से प्रदीप जैन को इस आधार पर गिरफ्तार किया गया कि, अफीम बेचने का प्रयास कर रहा था तथा उसके कब्जे से 180 ग्राम अफीम बरामद की गई उल्लेखनीय है कि 28/12/94 से लेकर करीब ढाई साल तक वह लगातार पुलिस अभिरक्षा में रहा ऐसी हालत में यह कैसे माना जा सकता है कि 29/12/94 को शाम तीन बजे वह तितुरडीह में अफीम बेचने का प्रयास कर रहा था
विचारण न्यायालय दुर्ग के समक्ष प्रदीप जैन यह साबित करने में सफल रहे कि प्रकरण झूठा था और उन्हें विद्वेषपूर्ण फसाया गया था जिसके कारण वह लगातार 893 दिन तक जेल में रहे। जैन द्वारा झूठे अभियोजन का मामला प्रस्तुत किया गया लेकिन जिला न्यायालय दुर्ग ने इसे खारिज कर दिया गया जिसके विरुद्ध प्रदीप जैन ने हाईकोर्ट में एडवोकेट उत्तम पाण्डेय, विकास बाजपेयी ,पूजा सिन्हा के जरिये अपील की जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत ने निर्णय सुनाते हुए पुलिस अधिकारियों को दोषी पाकर 5 लाख रु क्षतिपूर्ती , मुकदमा प्रस्तुति दिनांक से लेकर अब तक 6 प्रतिशत ब्याज दर से दो माह के अन्दर देने का आदेश दिया कि यदि राज्य सरकार चाहे तो उक्त रकम दोषी पुलिस अधिकारियों से वसूल सकती है । उल्लेखनीय है कि इस मामले के दोषी एक अधिकारी की मामला लंबित रहने के दौरान मौत हो गई है। वही दो अधिकारी एम डी तिवारी व शमी सेवानिवृत्त हो गए है। सरकार चाहे तो इनसे क्षतिपूर्ति राशि वसूल सकती है।